

बिलासपुर। कोचिंग डिपो में काम करते समय ओएचई तार की चपेट में आए ठेका कर्मी प्रताप बर्मन की अपोलो में इलाज के दौरान गुरुवार सुबह 9:25 बजे मौत हो गई ।
एक दिन पहले के इलाज और मुआवजे की मांग को लेकर परिजन और ग्रामीणों ने डीआरएम कार्यालय का घेराव कर दिया था।
प्रताप बर्मन रैक मेंटेनेंस के दौरान एसी कोच की छत पर चढ़कर लीकेज सुधार रहा था। इसी दौरान वह ओवरहेड तार के संपर्क में आ गया और गंभीर रूप से झुलस गया। वर्तमान में उसका इलाज अपोलो अस्पताल में चल रहा था, लेकिन स्थिति नाजुक बनी हुई थी

घटना के बाद से ही परिजन इलाज के खर्च और मुआवजे की मांग लेकर रेलवे अफसरों से गुहार लगा रहे थे। मगर अधिकारियों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि ठेका कर्मियों के इलाज की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है और रेलवे इसके लिए कोई राशि उपलब्ध नहीं कराएगा।
इस रवैये से नाराज परिजन और ग्रामीण बुधवार को बड़ी संख्या में डीआरएम कार्यालय पहुंच गए। आरपीएफ ने गेट बंद कर दिया तो लोग वहीं धरने पर बैठ गए और नारेबाजी करने लगे। करीब दो घंटे तक चले इस प्रदर्शन के बाद रेलवे अधिकारियों ने ठेकेदार को बुलवाया और इलाज की जिम्मेदारी लेने को कहा। शुरुआत में ठेकेदार आनाकानी करता रहा, लेकिन ग्रामीणों के दबाव और अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद उसने इलाज का खर्च उठाने का आश्वासन दिया।ठेकेदार के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने प्रदर्शन समाप्त किया था।

इधर गंभीर रूप से झुलसे प्रताप बर्मन की इलाज के दौरान गुरुवार सुबह मौत हो गई। पता चला कि ठेकेदार ने अपोलो में भी भुगतान नहीं किया है इस कारण से विवाद की स्थिति भी निर्मित हुई।
