चिरमिरी के गोपाल सिंह का फिल्म मां में जानदार अभिनय


अजय देवगन द्वारा निर्मित व काजोल की मुख्य भूमिका वाली हॉरर फिल्म मां इन दिनों थियेटर में रिलीज हुई है
अपने चिरमिरी छत्तीसगढ़ के बेहतरीन कलाकार गोपाल सिंह इस फिल्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका में है और अपने बेहतरीन अभिनय से चरित्र को रुपहले परदे पर जिया है
इस फिल्म में वे एक सेवक की भूमिका में है , जो बंगाल के जमींदार की हवेली की सपरिवार देखरेख करता है , उसकी बेटी ,पत्नी और वो स्वयं इस फिल्म की पटकथा में महत्वपूर्ण है
निश्चित ही ये छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है
फिल्म की समीक्षा


फिल्म: मां
एक जानदार हॉरर फिल्म
इस फिल्म के विषय में एक बात, जो आप इसे देखने के बाद संतुष्टि के साथ कह सकते है, वो ये है कि हमारे भारतीय सिनेमा का तकनीकी स्तर अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर का है।
ये एक हॉरर फिल्म है, इसलिए तर्क-साइंस को कुछ देर के लिए भूल जाए इस फिल्म की पटकथा, रामसे ब्रदर्स की फॉर्मूला भूतिहा फिल्मों जैसी कतई नहीं है एक सशक्त स्क्रिप्ट , जो आप को एक काल्पनिक कहानी को सच मानने में विवश कर देती है ,फिल्म देखते-देखते आप को कभी-कभी अनुभूत होता है कि आप कोई बांग्ला फिल्म देख रहे है ,पात्रों का विशुद्ध बांग्ला एसेंट में बातचीत करना फिल्म को सजीव बनाता है, फिल्म की कहानी भी आप को बंगाल के किसी छोटे से गांव में जाती है,ब्रिटिश ज़माने की पुरानी हवेली, धान के लहलहाते खेत, बंगाल का पारंपरिक पहनावा, वहां की लोक संस्कृति…
मां, अपने बच्चे के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है , यही इस फिल्म की थीम है।
यदि स्टोरी साझा कर दूं , तो फिल्म देखने का सारा आनंद खत्म, इसलिए ये भूल नहीं करूंगा।
फिल्म में बंगाल का मां काली के प्रति अगाध विश्वास , तंत्र शास्त्र की मान्यता ,ब्रम्ह राक्षस के अस्तित्व को फिल्म की स्क्रिप्ट में बड़ी ही बारीकी से बुना गया है।
फिल्म की आत्मा है ,काजोल और पूरी फिल्म उस के रोल पर ही केंद्रित है, यानि ‘वन विमेन शो’
फिल्म के अन्य कलाकार नए तो नहीं है , कुछ बंगाली फिल्मों में दिखाई देते है , कोई अन्य बड़ा स्टार फिल्म में नहीं है , अजय देवगन की फिल्म है यानि काजोल के लिए भी अपने घर की फिल्म
एक हॉरर फिल्म की सब से बड़ी सफलता यही होती है कि वो भय,डर और रोमांच से आप को भर दे।
और इस मायने ये फिल्म सौ प्रतिशत सफल है, हॉलीवुड की हॉरर फिल्मों को टक्कर देती है।
सपरिवार देखने योग्य , छोटे बच्चे शायद डर जाए
मेरी ओर से दस में आठ


डॉ.संजय अनंत ©

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