

शशि मिश्रा



जगत के स्वामी भगवान जगन्नाथ की लीला भी अपरंपार है। कभी वे अपने भक्त का रोग हर कर स्वयं 15 दिन के लिए बीमार पड़ जाते हैं , तो कभी स्वयं मंदिर से निकलकर भक्तों को दर्शन देने उनके बीच पहुंच जाते हैं, जहां अपने बड़े-बड़े नेत्रों से भक्तों को निहार कर उन्हें निहाल करते हैं । ऐसा ही अवसर शुक्रवार को भी आया, जब जगत के नाथ भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ गुंडिचा यात्रा पर निकले।


शुक्रवार को जगत के स्वामी, महाप्रभु जगन्नाथ, अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपने मंदिर की सीमाओं को लांघकर अपने भक्तों से मिलने के लिए बाहर आये। यह कोई साधारण यात्रा नहीं थी. यह एक ऐसा पर्व है जो ईश्वर और इंसान के बीच की हर दूरी को मिटा देता है. यहां भगवान राजा नहीं, बल्कि एक प्रेमी पिता, भाई और मित्र की तरह अपने लोगों के बीच आते हैं. मंदिर की चारदीवारी, नियम और अनुष्ठानों के बंधन टूट जाते हैं और देवता स्वयं अपने भक्तों के द्वार पर पहुंचते हैं. यह एक ऐसा अनूठा उत्सव है जहां भगवान को देखने के लिए तीर्थयात्रा नहीं करनी पड़ती, बल्कि भगवान स्वयं यात्रा पर निकलते हैं. यह आध्यात्मिक लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव है, जहां भगवान केवल मंदिर के गर्भगृह तक सीमित नहीं रहते, बल्कि हर उस व्यक्ति के हो जाते हैं जो उन्हें प्रेम से पुकारता है. आज सुबह 6 बजे मंगला आरती के साथ दिन की शुरुआत हुई और अब जैसे-जैसे घड़ी की सुइयां आगे बढ़ती रही , लाखों धड़कनें उस क्षण की प्रतीक्षा में तेज हो रही थी जब महाप्रभु अपनी पहली झलक देंगे.


बिलासपुर में भी रथ यात्रा का भव्य आयोजन किया गया। रेलवे क्षेत्र स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर से दोपहर में भव्य रथ यात्रा निकली। स्नान पूर्णिमा पर 108 कलश जल से स्नान कर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा बीमार पड़ गए थे, जिनका आयुर्वेद पद्धति से इलाज किया गया। नेत्र उत्सव पर भगवान स्वस्थ हो गए। इसके बाद वे अपने मौसी मां का आतिथ्य लेने गुंडिचा रथ यात्रा पर निकले।

मंदिर में सुबह मंगला आरती, मईलम, तड़प लागी, रोष होम नीति अनुष्ठान संपन्न हुए। दोपहर में उन्हें खिचड़ी का भोग लगाया गया। इसके बाद पहंडी यात्रा के साथ तीनों प्रतिमाओं को रथ पर आरूढ़ किया गया। छेरा पहरा की रस्म केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने पूरी की, जिनके साथ महापौर पूजा विधानी भी थी। उन्होंने सोने के झाड़ू से झाड़ू लगाई। इसके बाद रथ यात्रा आरंभ हुई।

भगवान जगन्नाथ के रथ का रस्सा खींचने छोटे-छोटे बच्चों से लेकर युवा, बुजुर्ग, महिला सभी नजर आए। सभी में अद्भुत उत्साह था। जैसे ही रथ यात्रा आरंभ हुई आसमान से फुहारे गिरने लगी, जिसकी परवाह किए बगैर भक्त रथ का रस्सा खींचते हुए तितली चौक की ओर बढ़े, जहां से रेलवे स्टेशन, बाराह खोली, तार बाहर, गांधी चौक, दयालबंद होते हुए यह रथ यात्रा ओड़िआ स्कूल में अस्थाई रूप से बनाएं मौसी मां के मंदिर पहुंची । इसी गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ आगामी 9 दिनों तक रहेंगे, जहां भगवान को विशेष पकवानो का भोग चढ़ाया जाएगा । यहां उत्कल समाज द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी प्रस्तुति होगी। बहुड़ा यात्रा 5 जुलाई को होगी, जिसके साथ भगवान एक बार फिर श्री मंदिर में लौट आएंगे।


