नगरीय निकाय विभाग में व्याप्त गड़बड़ियों को सुधारने आजाद मंच ने मंत्री अरुण साव को लिखा पत्र, रखी पांच अहम मांगे

यूनुस मेमन

  • जनता से सीधा जुड़ा हुआ विभाग नगरीय निकाय अनियमितताओं के कारण भ्रष्टाचार की भेंट चढ रहा है : विक्रांत तिवारी
  • अज़ाद मंच का आरोप शासन की अधिसूचना की धज्जियां उडा रहे नवनिर्वाचित अध्यक्ष आज भी धड़ल्ले से हस्ताक्षर कर किया जा रहा भुगतान पूर्व अनुमोदन।
  • 10 साल पुरानी एस.ओ.आर,भुगतानों में राजनीतिक हस्तक्षेप,निरंकुश अध्यक्षों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर कार्य,प्लेसमेंट कर्मचारियों से विभागीय कार्य पर रोक और कार्य प्रणाली में विसंगतियों को सुधारने सम्बध्द जांच की रखी मांगे।

बिलासपुर/रायपुर (02/06/25) जनहित में जनता की समस्याओं के निवारण एवं विकास कार्यों का जिम्मा संभालने वाले नगरीय निकाय विभाग में लगातार गड़बड़ियां और शिकायतें सामने आ रही है जहां कुछ दिन पहले नगर पालिका कवर्धा में अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा तो वही मल्हार नगर पालिका में ठेकेदारों ने अध्यक्ष और पार्षदों पर कमीशन खोरी का लिखित आरोप लगाया वही रतनपुर , तखतपुर सहित तमाम नगर पालिकाओं में आए दिन शिकायतों का अंबार लगा रहता है ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा की जनता से सीधा जुड़ाव रखने वाला नगरीय निकाय विभाग नवनिर्वाचित नेताओं के कारण भ्रष्टाचार की भेंट चढ रहा है ।नगरीय निकाय विभाग में व्याप्त गड़बड़ियों को सुधारने एवं कथित भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने आजाद मंच ने नगरीय निकाय मंत्री एवं छत्तीसगढ़ शासन में उपमुख्यमंत्री अरुण साव जी को पत्र लिखकर पांच अहम मांगे रखी हैं।

आजाद मंच प्रमुख विक्रांत तिवारी ने उपमुख्यमंत्री एवं नगरीय निकाय मंत्री अरुण साव को पत्र लिखकर नगरीय निकाय विभाग में व्याप्त अनियमितताओं की जानकारी देते हुए 5 अहम मांगे रखी । विक्रांत तिवारी ने कहा अब वक्त आ गया है कि पंचायती राज के सबसे अहम स्तंभ नगरीय निकाय विभाग को दुरुस्त किया जाए विभाग में भ्रष्टाचार निरंकुश रुप से पोषित हो रहे है और आम जनता परेशान हो रही है। हमने माननीय उप मुख्यमंत्री एवं इस विभाग के मंत्री श्री अरुण साव जी से पांच अहम मांगे की है जिसमें की 2025 में चल रहे 10 साल पुराने एस.ओ.आर को बदलना, नगरी निकाय विभाग में निरंकुश अध्यक्षों द्वारा नियमों को तक पर रखकर कार्य करना, भुगतानों में राजनीतिक हस्तक्षेप, निकायों में अत्यधिक रॉयल्टी का काटा जाना एवं विभाग की कार्य प्रणाली में गड़बड़ियों को सुधारना शामिल है।
शासन से की गई मांगे बिंदुवार इस प्रकार हैं-

1) 2015 एस.ओ.आर परिवर्तित कर 2025 एस.ओ.आर लागू करने हेतु:-
नगरी निकाय विभाग जिसमें नगर पंचायत, नगर पालिकाएं एवं नगर निगम के विकास कार्य किए जाते हैं उक्त विभाग में आज 2025 में भी 2015 का एस.ओ.आर उपयोग में लिया जा रहा है जबकि अन्य विभागों जैसे लोक निर्माण विभाग(pwd), ग्रामीण यांत्रिकी विभाग (ReS) ,इरिगेशन आदि में एस.ओ.आर काफी समय पूर्व ही संशोधित कर दिए गए हैं किंतु नगरी निकाय आज भी 2015 एस.ओ.आर पर ही कार्य करवा रहा है जिससे गुणवत्ता प्रभावित हो रही है एवं भ्रष्टाचार पोषित हो रहा है अत: 2015 एस.ओ.आर को परिवर्तित करें 2025 एस.ओ.आरलागू की जाए।

2) अन्य सभी विभागों की तर्ज पर नगरी निकाय विभागों के भुगतान भी बिना राजनीतिक दखल के किया जाए:- ज्ञात होकी आपकी सरकार ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए 7 अगस्त 2024 को एक अधिसूचना जारी कर धारा 81 और 90 में संशोधन पारित किया और यह सुनिश्चित किया कि निकाय के समस्त भुगतानों में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होगा अतः भुगतान पूर्व कोई भी फाइल नगर पालिका या नगर पंचायत अध्यक्षों को अनुमोदन हेतु नहीं जाएगी भुगतान उपरांत उन्हें 3 दिन में सूचित किया जाएगा किंतु कई नगरी निकायों में आज भी नगर पालिका अध्यक्षों द्वारा भुगतान पूर्व अनुमोदन एवं उनके हस्ताक्षर उपरांत ही भुगतान करने के नियम स्वयं लागू कर चलाए जा रहे हैं जोकि पूर्ण रूप से शासन के नियम का उल्लंघन भी है और साफ-साफ भ्रष्टाचार को पोषित करने हेतु किया जा रहा कृत्य भी है अतः इस पर पूर्णत रोक लगाकर समस्त भुगतानों को राजनीतिक हस्तक्षेप से बाहर किया जाए ।

3) भुगतानों में हो रही विसंगतियों को दूर करें:-
महोदय नगरीय निकाय विभाग जो की सीधे-सीधे जनता से जुड़ा हुआ विभाग है जहां कार्य में हो रही देरी जनता को लंबे समय तक परेशानियों से जूझने पर मजबूर करती है वहां भुगतान न किया जाना कार्य में हो रही देरी एक प्रमुख कारण के रूप में सामने आ रहा है जिस प्रकार निविदा प्रपत्र में धारा 8 के तहत यह नियम बनाया गया है की हर माह की 25 तारीख तक पुर्व माह में हुए कार्य का भुगतान कार्यालय द्वारा किया जाना अनिवार्य है उसपर किसी भी कार्यालय में भुगतान नहीं किया जाता। भुगतानों को दो, तीन, चार महीने तक लंबित रखकर रखा जाता है जिससे विकास की गति तो प्रभावित होती ही है साथ ही साथ भ्रष्टाचार की स्थिति भी निर्मित होती है। आपसे निवेदन है की निविधा प्रपत्र में इंकित धारा 8 का पालन कार्यालय को अनिवार्य रूप से करवाना सुनिश्चित करें।

4). कुशल एवं अकुशल मजदूरों से बाबुओं (लिपिक)वाले कार्य करवाना बंद किया जाए। महोदय नगरी निकाय के कार्यालयों में कुछ जगह ऐसा देखा गया है कि प्लेसमेंट कर्मचारियों से लिपिक का कार्य लिया जा रहा है जैसा कि नगर पालिका रतनपुर में देखा जा सकता है साथ ही फाइलों में हस्ताक्षर से लेकर लाखों करोड़ों के कार्य के भुगतानों की फाइल एवं अन्य विषयों को भी प्लेसमेंट कर्मचारियों द्वारा फाइल में लिखा एवं हस्ताक्षर कर बढाया जा रहा है। प्लेसमेंट कर्मचारियों पर कोई शासकीय दबाव न होने की वजह से उनके द्वारा खुलेआम पैसे का लेनदेन किया जाना आम बात है। अतः निवेदन है कि प्लेसमेंट कर्मचारियों की कार्यालय अंतर्गत स्थिति सीमित एवं निर्धारित किया जाना सुनिश्चित करें ताकि महत्वपूर्ण पदों पर कोई प्लेसमेंट कर्मचारी कार्यरत ना हो सके।

5). नगरीय निकाय में किसी भी प्रकार की शिकायत जांच और उसके निवारण हेतु कोई उचित मंच नहीं है जिस कारण वश नगरीय निकाय विभाग में लगातार शिकायतें राज्य सूचना आयोग तक पहुंच रही है एवं उसके बाद भी कार्यालय निरंकुश होकर लगातार ऐसे कार्य कर रहा है जिससे जनता का विश्वास उसे पर खोता जा रहा है अत: नगरीय निकाय विभाग में जन शिकायतों पर त्वरित,निष्पक्ष एंव समय अवधि के अंतर्गत जांच करने हेतु जिम्मेदारी सुनिश्चित कि जाए।
आजाद मंच ने कहा उपरोक्त सभी मांगे सीधे-सीधे जनहित से जुड़ी मांगे हैं हमें पूरी उम्मीद है की सभी विषयों पर आपके द्वारा संज्ञान लेकर उचित निर्णय लिए जाएंगे एवं नगरी निकाय विभाग में व्याप्त विसंगतियों को शीघ्र दूर किया जाएगा।

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