


बिलासपुर। शहर में पानी की आपूर्ति को लेकर नगर निगम के दावों की हकीकत उस समय उजागर हो गई जब मेयर पूजा विधानी और एमआईसी सदस्य विजय ताम्रकार ने गुरुवार को बिरकोना वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान यह सामने आया कि खूंटाघाट जलाशय में केवल 30% जलस्तर शेष है और नगर निगम को बोरवेल के पानी का सहारा लेना पड़ रहा है, जबकि इंजीनियर अब तक दावा करते रहे थे कि शहर को प्रतिदिन पूरा 35 एमएलडी पानी सिर्फ खूंटाघाट से मिल रहा है।
निरीक्षण के दौरान मेयर और जनप्रतिनिधियों ने जलप्रबंधन, ट्रीटमेंट प्रक्रिया और सप्लाई व्यवस्था की विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने खुद देखा कि खूंटाघाट का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। इस पर जब एमआईसी सदस्य विजय ताम्रकार ने अधिकारियों से पूछा कि क्या वाकई पूरा पानी खूंटाघाट से आ रहा है, तो अधिकारियों ने पहले पुष्टि की, लेकिन निरीक्षण के दौरान यह साफ हुआ कि सप्लाई बनाए रखने के लिए बोरवेल का पानी भी मिलाया जा रहा है।

इंजीनियरों के दावों पर उठे सवाल
नगर निगम का यह कहना कि बोरवेल से पानी नहीं लिया जा रहा, निरीक्षण के दौरान गलत साबित हुआ। जनप्रतिनिधियों ने स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि निगम को पारदर्शिता से काम करना चाहिए और सही जानकारी साझा करनी चाहिए।
जल संकट की आशंका
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि खूंटाघाट में जलस्तर इसी तरह गिरता रहा तो आने वाले समय में शहर को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। गर्मी के मौसम में जलाशयों पर निर्भरता अधिक होती है और वैकल्पिक जल स्रोतों की कमी समस्या को और बढ़ा सकती है।
गुणवत्ता जांच जारी, वैकल्पिक स्रोतों की तैयारी
बिरकोना प्लांट में क्लोरीन ट्रीटमेंट और पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच की जा रही है। निगम अधिकारियों ने बताया कि जरूरत पड़ने पर अन्य जल स्रोतों को भी सक्रिय किया जाएगा ताकि शहरवासियों को जल संकट का सामना न करना पड़े।
मेयर पूजा विधानी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जलस्तर पर नियमित मॉनिटरिंग की जाए और जनता को वस्तुस्थिति से अवगत कराया जाए।

