बिलासपुर महापौर के लिए नामांकन दाखिल करने वाले कांग्रेस नेता त्रिलोक श्रीवास ने प्रमोद नायक के समर्थन में लिया नाम वापस, कहा- वे प्रमोद नायक से बेहतर प्रत्याशी हो सकते थे साबित

नाम वापसी के आखिरी दिन शुक्रवार को महापौर प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दर्ज करने वाले त्रिलोक श्रीवास ने अपना नाम वापस ले लिया हालांकि उनकी पीड़ा भी इस दौरान उजागर हुई

नगरीय निकाय चुनाव के लिए प्रत्याशियों के ऐलान के बाद से ही कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। एक के बाद एक विद्रोही दावेदार सामने आ रहे हैं। इसी दौरान इन्हें मनाने के लिए कांग्रेस ने जिला स्तरीय संवाद एवं संपर्क समिति का गठन किया था। लग रहा है समिति अपने उद्देश्य में कामयाब रही। कांग्रेस के इन बागियों से अब एक-एक कर प्रत्याशी के समर्थन में नाम वापसी कराई जा रही है। एक दिन पहले मनिहार निषाद और निशा कश्यप ने अपने नामांकन वापस लिए। तो वहीं शुक्रवार को नाटकीय घटनाक्रम के दौरान महापौर का नामांकन दाखिल करने वाले त्रिलोक श्रीवास ने भी अपना नाम निर्देशन पत्र वापस ले लिया। शुक्रवार को कांग्रेस महापौर प्रत्याशी प्रमोद नायक के साथ कलेक्टर कार्यालय पहुंचे त्रिलोक श्रीवास ने कहा कि खुद प्रमोद नायक उनके घर तक चल कर आए हैं और उन्हें मनाया है इसलिए उन्होंने ऐसा किया है। त्रिलोक ने किसी दबाव या प्रलोभन से इनकार किया। हालांकि वे यह दावा करने से भी नहीं चुके कि अगर वे चुनाव लड़ते तो वे प्रमोद नायक से बेहतर साबित होते। स्वयं को सशक्त प्रत्याशी बताते हुए उन्होंने कहा कि संभव है कि प्रमोद नायक 40,000 वोटो से जीते। अगर वह चुनाव लड़ते तो संभवत कि वे 50,000 वोट से जीतते । किसी प्रालिभन या दबाब के आरोपो को खारिज करते हुए त्रिलोक श्रीवास ने कहा कि जब उन पर गोली चलवाई जाती थी, झूठे मुकदमे किए जाते थे, तब भी वे किसी से नहीं डरे, इसलिए डर का कोई सवाल ही नहीं है।

कांग्रेस नेता त्रिलोक श्रीवास लंबे समय से किसी बड़े पद के लिए प्रयास कर रहे हैं , इसलिए उन्होंने महापौर के लिए भी नामांकन दाखिल करते हुए दावा किया था कि अंतिम समय में बी फॉर्म उन्हीं के नाम से आएगा लेकिन ऐसा हो ना सका, जिसके बाद पार्टी नेताओं के समझाने पर उन्होंने प्रमोद नायक के समर्थन में अपना नाम वापस ले लिया। इधर नामांकन के दौरान उन्होंने जिस तरह से विजय केसरवानी के खिलाफ आग उगल थे, उससे पार्टी में उनको लेकर असंतोष देखा गया था। कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव और शहर अध्यक्ष विजय पांडे ने तो यहां तक कह दिया था कि त्रिलोक श्रीवास कांग्रेस में है ही नहीं। उन्हें तो कब से पार्टी से बाहर कर दिया गया है। इन आरोपों पर आहत होते हुए त्रिलोक ने कहा कि वे अब भी राष्ट्रीय पदाधिकारी है। त्रिलोक ने दावा किया कि वे पिछड़ा वर्ग के राष्ट्रीय महासचिव हैं, उत्तर प्रदेश और गुजरात के प्रभारी है, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव भी हैं।

कहते हैं अंत भला तो सब भला। त्रिलोक श्रीवास कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद नायक के लिए संकट खड़ा कर सकते थे जिन्हें मना कर अब उन्हें संकट मोचक की भूमिका के लिए तैयार किया जा रहा है, लेकिन कलेक्ट्रेट में जिस तरह से प्रमोद नायक की मौजूदगी में त्रिलोक श्रीवास ने अपने तेवर दिखाए हैं उसे इतना तो स्पष्ट है कि त्रिलोक ने यह कदम अनिच्छा के साथ ही उठाया है। कोई तो बड़ी मजबूरी रही होगी, वरना इस फैसले से वे खुद खुश नजर नहीं आ रहे । देखना दिलचस्प होगा कि नाम वापसी के बाद त्रिलोक श्रीवास प्रमोद नायक के पक्ष में कितना समर्थन जुटा पाते हैं।

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