
यूनुस मेमन

बिलासपुर के केंद्रीय जेल में बंद एक कैदी की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई है ।परिजनों ने पुलिसकर्मियों द्वारा पैसे की डिमांड पर पीटे जाने का आरोप लगाया है। जेल में बंद कैदी चार दिन पहले ही शराब के मामले में गिरफ्तार हुआ था। इधर परिजनों ने बंदी की हत्या का आरोप लगाते हुए जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
सीपत क्षेत्र के ग्राम मोहरा निवासी 35 वर्षीय सरवन तांबे पेशे से खेती किसानी का काम करता था। परिजनों के अनुसार 17 जनवरी को स्थानीय पुलिस उसे महुआ शराब के साथ गिरफ्तार कर लाई थी, जिसके बाद उसे 19 जनवरी को कोर्ट पेश कर जेल भेज दिया गया। जब उसके परिजन जेल में मिलने पहुंचे तो उसे मिलने नहीं दिया गया।
दावा किया जा रहा है जेल में अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई । उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी, जिसके बाद उसे आननफानन में जेल के अस्पताल और फिर सिम्स रेफर किया गया, लेकिन सिम्स पहुंचने के बाद उसकी मौत हो गई । इसकी सूचना अगले दिन परिजनों को दी गई ।

श्रवण तांबे की पत्नी लहराबाई ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि महुआ शराब के साथ पकड़े जाने पर उससे ₹10,000 की मांग की गई थी। जब परिजन थाने में मिलने पहुंचे तो कोर्ट से आदेश लेकर आने कहा गया। लहराबाई यह भी कह रही है कि पुलिस ने उसे करीब 36 घंटे तक हवालात में रखा, साथ ही उसकी बेरहमी से पिटाई की गयी। जब आरोपी ने पैसे देने में असमर्थता जताई तो उसके खिलाफ केस बनाकर उसे जेल भेज दिया गया। परिजनों को जेल में भी उससे नहीं मिलने दिया गया। परिजनों का आरोप है कि जेल में भी उसके साथ मारपीट की गई। परिजनों का दावा है कि श्रवण तांबे के शव पर कई जगहों पर खून जमा हुआ साफ दिख रहा है जिससे स्पष्ट होता है कि उसकी पिटाई की गई है । इधर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में डॉक्टर ने बंदी का पोस्टमार्टम किया।

कैदी की संदिग्ध अवस्था में मौत के बाद जेल प्रशासन की अमानवीयता भी सामने आई है। जब उसे सिम्स में भर्ती कराया गया तो वह बोलने की स्थिति में भी नहीं था, लेकिन फिर भी उसके हाथ में हथकड़ी लगे हुए थे। इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई ,फिर भी शव में भी हथकड़ी लगी रही, जिस पर परिजनों ने आपत्ति जताई है और मामले की जांच कर दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही की मांग की जा रही है।
