

सरकंडा सुभाष चौक स्थित श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर में 18 जून से पीतांबरा हवनात्मक महायज्ञ का आयोजन किया गया। 161 दिनों में यहां 40 लाख 25 हजार आहुतियां अर्पित की गई। 27 नवंबर को यज्ञ में पूर्ण आहुति अर्पित की गई। इस अवसर पर बिलासपुर सांसद, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और देश भर से संत पूर्णाहुति देने पहुंचे।
सोमवार को त्रिदेव मंदिर में विविध अनुष्ठान संपन्न किए गए। परमहंस शारदानंद सरस्वती जी महाराज की प्रथम पुण्यतिथि पर यहां कन्या पूजन और भंडारा का भी आयोजन किया गया।

पीठ की स्थापना की कहानी
पीतांबरा पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य डॉक्टर दिनेश जी महाराज ने बताया कि उनके सद्गुरु श्री परमहंस शारदानंद सरस्वती जी महाराज ने 1999 में इस स्थान पर पीठ स्थापना की इच्छा व्यक्त की थी। उनके संकल्प को पूरा करते हुए 2000 में इस स्थान पर मंदिर का शिलान्यास किया गया और आज उनके स्वप्न को पूरा करते हुए यहां त्रिदेव मंदिर स्थापित है, जहां कामना की पूर्ति के लिए 108 किलो वजनी पारद शिवलिंग स्थापित है, जिसके दर्शन मात्र से ही द्वादश ज्योतिर्लिंग और रुद्राभिषेक का पुण्य प्राप्त होता है। वही अर्थ की कामना से मां बगलामुखी की पूजा अर्चना की जाती है जो प्रथम तल पर स्थापित है। तृतीय तल पर मोक्ष प्राप्ति के लिए भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित की गई है।
गुरुदेव की इच्छा अनुसार इस मंदिर का नामकरण त्रिदेव मंदिर किया गया है, जिसकी ख्याति दिन दूनी रात चौगुनी फैलती जा रही है। दूर-दूर से यहां भक्ति, आराधना और विभिन्न संस्कार पूर्ण कराने के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं। सोमवार को भी यहां देश भर से संत पहुंचे। इस अवसर पर यहां छत्तीसगढ़ भारतीय संत समिति धर्म समाज की बैठक भी आयोजित की गई ।

यहां पहुंचे संतो ने बताया कि 500 वर्ष के संघर्ष के बाद रामलला का भव्य मंदिर स्थापित हो रहा है। इसे रामलला का विजय उत्सव बताया गया। देशभर से श्रद्धालु राम मंदिर के दर्शन के लिए प्रतीक्षारत है। संतों ने बताया कि अयोध्या जी मे वर्तमान में व्यवस्थाएं ऐसी नहीं है कि एक साथ सभी दर्शन के लिए अयोध्या जी पहुंच पाए, इसलिए उन्होंने सभी से प्रतीक्षा करने की बात कही। संतों ने कहा कि अपना गांव- अयोध्या धाम कार्यक्रम के तहत संत समाज 1 दिसंबर से घर-घर जाकर सभी को अक्षत प्रदान करते हुए आमंत्रित करेंगे। सभी से अपेक्षा की गई है कि वे 22 जनवरी को एक और दीपोत्सव मनाते हुए घर-घर दीपक जलाकर भगवान श्री राम का स्वागत करें । उन्होंने कहा कि मार्च के बाद ही रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या जी पहुंचना उचित रहेगा।

इस अवसर पर पधारे महामंडलेश्वर स्वरूपादास महराज ने कहा कि संतों का कार्य समाज और सनातन धर्म के बचाव के लिए होता है। 500 वर्षों से सनातन की स्थापना का संघर्ष परिणाम अब राम जन्मभूमि के रूप में पूर्ण हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस संघर्ष को विजय उत्सव के रूप में मनाने अयोध्या में महा बैठक का आयोजन किया गया। इस विजय उत्सव में सभी की सहभागिता बने इसकी तैयारी पर चर्चा की गई।
अपना गांव अयोध्या धाम
स्वरूपादास महराज ने कहा कि अयोध्या में 22 जनवरी को प्राणप्रतिष्ठा के अवसर पर जन जन और घर घर में उत्सव मनाया जाए। इस दिन घर व मंदिरों में कम से कम 11 दीए अवश्य जलाएं। अपने घर अपने गांव को अयोध्या धाम बनाएं। 500 साल बाद आए स्वर्णिम दिवस को दिवाली की तरह मनाएं।
अयोध्या की गलियां, सड़कें सब बदली
शारदानंद सरस्वती महराज ने बताया कि अयोध्या की संकरी गलियां, सड़कें, नक्शा, नमूना सब बदल गया है। भगवान राम के प्राणप्रतिष्ठा के लिए बन रहा भव्य कारीडोर और क्षेत्र के लोगों में खुशी देखते ही बनती है। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण का कुछ कार्य दो महीने बाद पुनः प्रारंभ होगा।
प्राणप्रतिष्ठा में सिर्फ 7 हजार लोग ही होंगे शामिल
महराज श्री ने बताया कि 22 जनवरी को अयोध्या में प्राणप्रतिष्ठा के उत्सव में सिर्फ 7 हजार लोगों के शामिल होने की व्यवस्था की गई है। पहले दिन अन्य लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की है उस दिन अयोध्या जाने की योजना न बनाएं।
छत्तीसगढ़ से 4 फरवरी को जाएंगे श्रद्धालु, 6 को होंगे दर्शन
विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री ने बताया कि 27 जनवरी के बाद अयोध्या दर्शन के लिए देश के सभी प्रांतों के लिए तिथि और संख्या तय की जाएगी। न्यास की ओर से 45 दिनों तक श्रद्धालुओं के रहने और खाने की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के श्रद्धालु 4 फरवरी को अयोध्या के लिए रवाना होंगे, 5 को पहुंचेंगे और 6 फरवरी को भगवान के दर्शन करेंगे। मार्च के बाद आम जन मानस दर्शन कर सकेंगे।
जनवरी में घर-घर देंगे न्योता
आचार्य दिनेश महराज ने बताया कि 1 से 10 जनवरी तक घर-घर जाकर लोगों को इस उत्सव में शामिल होने निमंत्रण दिया जाएगा। उन्होंने बताया की 1 दिसंबर को रायपुर में अक्षत प्रारंभ किया जाएगा।
साथ ही उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि अलग-अलग प्रांत के लिए अलग-अलग तिथि तय की जा रही है। छत्तीसगढ़ से तीर्थ यात्री 4 फरवरी 24 को रवाना होकर 5 फरवरी को अयोध्या जी पहुंचेंगे, जहां 6 फरवरी को दर्शन के बाद 7 फरवरी को वापसी होगी। उन्होंने कहा कि 500 सालों से अधिक लंबे संघर्ष के बाद यह सपना पूर्ण हुआ है। जल्द ही उन्होंने ज्ञानव्यापी और मथुरा को भी मुक्त कराने की बात कही।
