नवरात्र विशेष, कहानी श्री सिद्धपीठ माँ ढाकेश्वरी मंदिर ढाका की

संजय अनंत


1971 के पूर्व ईस्ट पाकिस्तान और उस के पश्चात बांग्लादेश की राजधानी ढाका । यहाँ विराजती है भगवती माँ ढाकेश्वरी । इस शहर को माताजी के नाम से ढाका कहाँ गया । कभी हिन्दू बहुल था , कोलकाता से ज्यादा रौनक वाली दुर्गा पूजा थी ढाका की । दक्षिणेश्वर के काली मंदिर की तरह ही यह भी एक सिद्ध व चमत्कारी शक्तिपीठ है। इस मंदिर में मां ढाकेश्वरी विराजमान हैं।मान्यता है कि मां ढाकेश्वरी के नाम पर ही बांग्लादेश की राजधानी का नाम ढाका है। 1947 से पहले यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते थे। तब यह अखंड भारत का एक महत्वपूर्ण भाग था।


विभाजन के बाद यह पाकिस्तान में चला गया था। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का असर इस मंदिर पर भी पड़ा था। पाकिस्तान की सेना ने इसे क्षति ग्रस्त किया, अपवित्र किया लूटा और मुख्य पुरोहित की हत्या की,। इसके जीर्णोद्धार में करीब 25 साल का समय लगा। 1996 में यह मंदिर एक बार फिर बनकर तैयार हुआ। बता दें कि 1996 में ही ढाकेश्वरी मंदिर को बांग्लादेश का राष्ट्रीय मंदिर (Dhakeshwari National Temple) घोषित किया गया और इसका नाम बदलकर ढाकेश्वरी जातीय मंदिर (राष्ट्रीय मंदिर) रखा गया।। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में सेन राजवंश के राजा बल्लाल सेन ने करवाया था। माना जाता है कि यहां देवी सती के आभूषण गिरे थे, यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यताओं के अनुसार, यहां का मुकुट रत्न गिरा था।

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