
कैलाश यादव

भारतीय जनता पार्टी की दूसरी सूची अभी जारी नहीं हुई है लेकिन सोशल मीडिया पर दो सूची वायरल हो रही है, जिसमें बिलासपुर जिले के 6 विधानसभा सीटों में से एक तखतपुर में धर्मजीत सिंह को प्रत्याशी बनाने की बात कही जा रही है। कभी कांग्रेस के बड़े नेता रहे धर्मजीत सिंह छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेहद करीबी हो गए। इतने करीबी कि जब अजीत जोगी ने कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाई तो धर्मजीत भी उनके साथ हो लिए है। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से लोरमी विधायक भी चुने गए , लेकिन अजीत जोगी के निधन के बाद पार्टी बिखर गई। इसके बाद धर्मजीत सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया। बताया जा रहा है कि वे इसी शर्त के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए कि उन्हें तखतपुर से प्रत्याशी बनाया जाए। यही कारण है कि वायरल सूची में भी धर्मजीत सिंह का ही नाम तैर रहा है।

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हर्षिता पांडे कांग्रेस प्रत्याशी से 3000 से भी काम वोटो से हारी थी ।यानी यहां मुकाबला कांटे का है । हार के बाद भी हर्षिता पांडे पूरे 5 साल सक्रिय रही। उनके अलावा पूर्व विधायक राजू सिंह क्षत्री भी एक बड़े दावेदार हैं , लेकिन तखतपुर में पैराशूट प्रत्याशी उतारे जाने से कार्यकर्ता नाराज है , जिन्होंने शनिवार देर शाम भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के बंगले का घेराव कर दिया। तखतपुर से पहुंचे पार्टी कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में कहा कि बाहरी प्रत्याशी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भाजपा के लिए दरी बिछाने से लेकर कांग्रेस के साथ हर संघर्ष का साथी रहने वाले किसी स्थानीय प्रत्याशी की मांग की जा रही है। भले ही बड़ी संख्या में कार्यकर्ता अपनी मांग लेकर पहुंचे थे लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि तखतपुर से भाजपा दावेदार ही इस तरह से कार्यकर्ताओं के माध्यम से अपना शक्ति प्रदर्शन करते हुए लॉबिंग कर रहे हैं ।


कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि कार्यकर्ता पार्टी अपनी भावना से अवगत कराने आए थे जिन्हें वे उचित फोरम में पार्टी तक पहुंचाएंगे।
वैसे यह अकेला तखतपुर का मामला नहीं है । बिलासपुर हो, धरसींवा या फिर कोई और विधानसभा। कई जगह इसी तरह के विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सुपरस्टार अनुज शर्मा को को तो उनके ही शहर से सटे धरसीवा में बाहरी बताया जा रहा है। बिलासपुर से अमर अग्रवाल के नाम पर भी कुछ लोगों ने आपत्ति जताई है।
हैरानी की बात है कि इस बार भारतीय जनता पार्टी जैसे अनुशासित पार्टी में भी इस तरह की बातें नज़र आ रही है जो कि अमूमन कांग्रेस की परंपरा रही है। सत्ता से एक बार बाहर रहने के बाद भारतीय जनता पार्टी में भी उसी तरह की अनुशासनहीनता और व्यक्ति पूजा की परंपरा प्रवेश कर गई है। कभी इस कैडर बेस पार्टी में कार्यकर्ता पूरी तरह से पार्टी और निशान के लिए समर्पित रहते थे। भारतीय जनता पार्टी में कभी भी दावेदार या प्रत्याशी महत्वपूर्ण नहीं रहे, लेकिन बढ़ती महत्वाकांक्षा के चलते यह धारणाएं भी ध्वस्त हो रही है । ऐसे हालत में चुनाव के दौरान अपने ही लोगों के भीतर घात की आशंका भी बढ़ती जा रही है। हालांकि विरोध प्रदर्शन करने वालों ने स्पष्ट किया कि वे इस विरोध के बावजूद पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता है और पार्टी के विरोध में कोई कार्य नहीं करेंगे। विरोध करने वाले लोगों ने यह भी मांग की है कि धर्मजीत सिंह के स्थान पर स्वयं अरुण साव तखतपुर से चुनाव लड़े, जिन्हें सबका व्यापक समर्थन प्राप्त होगा।
