गंगा रक्षा के लिए जीवन शैली बदलना जरूरी- होसबोले, गंगा समग्र का तीन दिवसीय अभ्यास वर्ग संपन्न


रिपोर्ट:- मिहिरकुमार शिकारी-गुजरात से

हरिद्वार, मंगलवार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि गंगा की रक्षा के लिए समाज को अपनी जीवन शैली बदलनी होगी। जीवन शैली बदले बिना गंगा को अविरल और निर्मल करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि गंगा से ही भारत है। इसलिए इसको बचाना हर भारतीय का धर्म है। हमें अतीत से प्रेरणा लेकर वर्तमान को बदलना चाहिए।
हरिद्वार के डिवाइन कालेज ऑफ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल साइंस में गंगा समग्र के तीन दिवसीय अभ्यास वर्ग के समापन के मौके पर सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि आज पंचतत्व में एक जल पर गंभीर संकट है। दुनिया की अनेक संस्कृतियों की प्रवृत्ति बन गई है कि पहले चीजें नष्ट करो, फिर उन्हें सुधारने का अभियान चलाओ। इसी का नतीजा है कि पंचतत्व खतरे में हैं। इन्हें बचाने के लिए जीवन शैली बदलनी होगी। य़ह संदेश भारत ने जी 20 सम्मेलन के जरिए पूरी दुनिया को दिया है। उन्होंने गंगा को संपूर्ण जल का प्रतिनिधि बताया और कहा कि गंगा के कारण इतिहास है। इसी के कारण संस्कृति है। इसके कारण ही समृद्धि है। गंगा है तो भारत है। अनेकों कलाओं का विकास इसी के किनारे हुआ है। भारत की आत्मा गंगा में है। उन्होंने तथ्यों से समझाया कि गंगा के बिना भारत की कल्पना भी असंभव है। उन्होंने गंगा समग्र के कार्यकर्ताओं से कहा कि गंगा के साथ ही पर्यावरण की रक्षा के लिए जीवन शैली बदलने की पहल वे खुद करें। फिर समाज का मानस बदलें।
उन्होंने विश्वास जताया कि गंगा समग्र के कार्य की गति बताती है कि य़ह अभियान लक्ष्य हासिल करेगा। उन्होंने आह्वान किया कि लक्ष्य के प्रति कटिबद्ध होना होगा। नदी से यही सबक लें कि लक्ष्य से पहले रुकना नहीं है। दुनिया से ज्ञान लेना है लेकिन अपनी परंपराओं और संस्कृति को छोड़े बिना।
इस मौके पर परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद जी महाराज ने कहा कि स्वयं को साधना ही साधना है। अध्यात्म और साइंस के बीच चल रहे टकराव पर उन्होंने चंद्रयान का जिक्र किया और कहा कि बाहरी स्पेस के लिए साइंस चाहिए लेकिन आंतरिक स्पेस के लिए अध्यात्म जरूरी है। सनातन पर उठे विवाद पर उन्होंने कहा कि सनातन सर्वे भवन्तु सुखिनः का संदेश देता है। य़ह समरसता का रस देता है। सबको रस देता है। समूची दुनिया सनातन की तरफ आशा भरी निगाह से देख रही है। भारत की महिमा विश्व में गूंज रही है। गंगा पर उन्होंने कहा कि इसका गंगत्व दिव्य है। उन्होंने गंगा समग्र का आह्वान किया कि हर गांव के एक तालाब को ठीक कर दें, य़ह बहुत बड़ा काम होगा। गंगा समग्र को सरकार के साथ सेतु बनाकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गंगा रहेगी तो भारत रहेगा। मोदी सरकार की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि आज भारत महाभारत नहीं, महान भारत के रास्ते पर बढ़ रहा है।


उन्होंने कहा कि हमें पूर्ण विश्वास है कि आज जिस ध्येय से गंगा समग्र कार्य कर रही है आने वाले समय में समाज के लिए लाभकारी कार्य होगा। संगठन में कार्यकर्ता का जुड़ना या जोड़ना आसान है लेकिन किसी ध्येय को लेकर कार्य करना और उस लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर कार्य करते रहने से ही उद्देश्य की प्राप्ति हो पाती है आज मैं जब गंगा समग्र के पदाधिकारी से मिल रहा हूं तो हमें विश्वास हुआ है कि अपने उद्देश्य की ओर बढ़ने और कार्य करने में अपनी पूर्ण निष्ठा और समर्पण की भाव से कार्यकर्ता कार्य करेंगे। गंगा के जल का सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि गंगा किनारे रहने वाले का जीवन यापन का जरिया था। एक बहुत बड़ा वर्ग गंगा पर निर्भर करती थी। गंगा का जल का महत्व इसलिए भी अधिक था क्योंकि इसके जाल में अनन्य प्रकार के जड़ी बूटियों का प्रभाव होता था। आज जंगल और पेड़ पौधे कट जाने के कारण जड़ी बूटी के भी पेड़ पौधे विलुप्त हो गए हैं। गंगा अनन्य अथक प्रयास से भागीरथ जी के धरती पर अवतरित हुई है।


इस अवसर पर स्वामीश्री चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने भी समरोप् सत्र में कहा कि प्रकृति से हमें बहुत कुछ मिला है हम मनुष्य उन चीजों को दूषित न करें उनका दुरुपयोग ना करें प्रकृति के द्वारा मिले चीजों का सम्मान करें।अधिक से अधिक पेड़, पौधे, वृक्ष लगाएँ अगर संभव हो तो जड़ी बूटी का वृक्ष अवश्य अपने आसपास लगाएं ऐसे पौधे से न सिर्फ प्रकृति को बल्कि मनुष्य को भी लाभ मिलेगा।प्लास्टिक के चीजों का उपयोग हम सब स्वयं में भी कम से कम करें क्योंकि ऐसी चीजों को रोकने में जन चेतन अधिक कारगर होगी।गंगा सदैव से पूजी गई है हम उन्हें मां कहते हैं और वह सदैव हमें बालक के रूप में सृजन एवं हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करती रही है।
राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष जी ने कहा कि सभी जल तीर्थों को निर्मल किए बिना गंगा को निर्मल नहीं किया जा सकता। गंगा का काम बड़ा है इसमें समय लगेगा लेकिन लक्ष्य को संधान के पहले विश्राम नहीँ लेना है। महामंत्री आशीष जी ने गंगा समग्र की शुरुआत की पृष्ठभूमि बताई। उन्होंने कहा कि छोटे कालखंड में ही इसका स्वरूप आज विशाल हो गया है। य़ह 15 आयामों के माध्यम से गंगा को निर्मल बनाने के महाभियान में जुटा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेंद्र सिंह ने की। इस मौके पर राष्ट्रीय मंत्री रामाशंकर सिन्हा व अवधेश कुमार, प्रांत संयोजक अरुण घिल्डियाल, प्रांत संगठन मंत्री निरंजन जी आदि उपस्थित रहे।

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