यूनुस मेमन
रतनपुर क्षेत्र के जंगल में नर भालू की मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि उसका शिकार तीर मारकर किया गया था। जांच के दौरान वन विभाग को मुखबिर से सूचना मिली कि पास के ही एक गांव में रहने वाले 3 आदिवासियों ने भालू का शिकार किया है , जिसके बाद वन विभाग की टीम ने 3 लोगों को उठा कर उनके साथ पूछताछ की। अब आरोप लग रहा है कि तीनों आदिवासियों के साथ थर्ड डिग्री का प्रयोग किया गया था, जिसकी विभागीय जांच भी जारी है।
जंगल में भालू की मौत होने और इसके संदेह में वन विभाग द्वारा तीन कथित निर्दोष आदिवासियों की बेरहम पिटाई करने के मामले में सर्व आदिवासी समाज के धरना प्रदर्शन के बाद इस मामले में एक सप्ताह की मोहलत मांगी गई है।
दरअसल वन विकास निगम क्षेत्र तेंदुवा बीट के जंगल के अंदर एक भालू मृत पाया गया था, जिसकी पड़ताल करते हुए वन कर्मियों द्वारा ग्राम करका नकटा बांधा बैगा क्षेत्र में छापा मारा गया । 27 मई शनिवार को शाम 6:00 बजे वन विकास निगम के कुछ कर्मचारी गांव पहुंचे और भालू को मारे जाने के संदेह में गांव के ही लूमन सिंह बैगा ,वीर सिंह बैगा और राम सिंह बैगा को उठा लिया। हालांकि जिस जगह पर भालू मृत पाया गया था वहां से गांव 20 किलोमीटर दूर है। ग्रामीणों का दावा है कि वन विभाग को, इन्हीं लोगों द्वारा भालू के मारे जाने का कोई साक्ष्य भी नहीं मिला, बावजूद इसके राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र लूमान सिंह, वीर सिंह और राम सिंह को नकटा बांधा से पूछताछ के बहाने शिव तराई गेस्ट हाउस ले जाया गया, जिसके बाद उन्हें भैसाझार वन विकास निगम कार्यालय में ले जाकर रात भर शराब के नशे में धुत होकर वन कर्मियों ने बेदम पिटाई की। मार-मार कर तीनों को अधमरा कर दिया । जिससे उनके कान, सर और कमर में गंभीर चोट पहुंची और कई इंद्रियां सुन्न पड़ गई। बिना किसी सबूत के निर्दोष बैगा आदिवासियों के साथ बेरहमी से मारपीट और अमाननीय बर्ताव किए जाने के खिलाफ सर्व आदिवासी समाज ने रतनपुर थाने का घेराव कर दिया और दोषी वन कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग करने लगे।
इस दौरान आंदोलनकारी आदिवासियों के प्रतिनिधि मंडल, पुलिस विभाग के आला अधिकारियों और वन विभाग के अधिकारियों के बीच लंबी बैठक हुई । तीनों पीड़ितों को मुलाहिजा के लिए अस्पताल भेजा गया। कार्यवाही के लिए आदिवासियों से एक सप्ताह की मोहलत मांगी गई है, जिसके बाद दोषी वन कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की बात कही गई है। इस आश्वासन के बाद आदिवासियों ने अपना धरना प्रदर्शन वापस लिया है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जब तक दोषी वन कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं होती, वे इस अमानवीय घटना का पुरजोर विरोध करते रहेंगे ।
पुलिस विभाग के आला अधिकारियों को भी इस मामले में ज्ञापन सौंपा गया है । जंगल में भालू की मौत के बाद ग्राम करका के नकटा बांदा में आदिवासी समाज के तीन निर्दोषों के साथ वन कर्मियों द्वारा की गई मारपीट के विरोध में सर्व आदिवासी समाज ने शक्ति प्रदर्शन कर प्रशासन को झुकने को विवश किया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज के महिला और पुरुष थाने का घेराव करने पहुंचे थे , जिन्होंने फिलहाल अपना विरोध प्रदर्शन सप्ताह भर के लिए स्थगित किया है।