
आकाश दत्त मिश्रा

मुंगेली में पिछले साल नवंबर महीने से एक खसरा नंबर के टुकड़े की खरीदी बिक्री पर लगी रोक भले ही हट गई हो, लेकिन यह फैसला भी विवादों से परे नहीं है। मुंगेली में अवैध तरीके से प्लाटिंग पर रोक लगाने के दावे के साथ प्रशासन द्वारा एक खसरा नंबर के टुकड़ों की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी थी गई थी। यह रोक शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों पर प्रभावी थी।
नया जिला बनने के बाद जाहिर तौर पर मुंगेली में भी जमीन कारोबार में तेजी आई। मुंगेली के सभी धनबल से सुदृढ़, बाहुबली और राजनैतिक रसूख रखने वाले इस मुनाफे के कारोबार में कूद पड़े। इस दौरान कई विवादित मामले भी सामने आए। इसी बीच भाजपा नेत्री शीलू साहू ने मुंगेली में अवैध तरीके से रजिस्ट्री को लेकर शिकायत की थी, जिसके बाद जिला प्रशासन ने पिछले साल नवंबर महीने से ही मुंगेली में जमीन के टुकड़ों की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी थी।
हालांकि जानकारों का मानना है कि यह शिकायत भी निजी हितों के टकराने की ही वजह से की गई थी। मुंगेली में जमीन कारोबार से जुड़े एक बड़ी हस्ती से निजी हित टकराने के बाद ही इस तरह की शिकायत करने की बात भी चर्चित है। इसके बाद भले ही प्रशासन ने यह कड़ा निर्णय लिया हो लेकिन इससे उन लोगों की मुसीबत बढ़ गई जो अपने बड़े जमीन में से कुछ हिस्सा बेचना चाह रहे थे। परेशानी जमीन कारोबारियों को भी होने लगी। करीब 6 महीने तक मुंगेली में जमीन का कारोबार बिल्कुल ठप होने से जमीन के कारोबार से जुड़े लोगों की स्थिति खराब होने लगी। ऐसे जमीन के टुकड़ों की रजिस्ट्री पर रोक लगने से जिन लोगों ने जमीन रजिस्ट्री के लिए एडवांस दिया था, उन्हें एडवांस की रकम लौटानी पड़ी। सभी जमीन कारोबारियों का मानना है कि उन्होंने इस पिछले 6 महीने में अपने व्यवसाय का सबसे बुरा दौर देखा और ऐसा कुछ बड़े जमीन दलालों के चलते हुआ। एक पक्ष द्वारा बार-बार शिकायत किए जाने के बाद जिला प्रशासन को यह कड़ा निर्णय लेना पड़ा था, जिसका खामियाजा एक बड़े वर्ग को भोगना पड़ा।
राहत की खबर यह है कि एक बार फिर से मुंगेली में एक खसरा नंबर के टुकड़ों की रजिस्ट्री शुरू हो गई है। जिला प्रशासन के पूर्व निर्णय के बाद पटवारियों ने ऐसी जमीनों का नजरी नक्शा बनाना ही बंद कर दिया था, जिस कारण रजिस्ट्री संभव ही नहीं थी। इधर रजिस्ट्री बंद हो जाने से सरकार को भी राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा था। बताया जा रहा है कि जमीन कारोबार से जुड़े मुंगेली के चर्चित व्यक्ति के मुख्यमंत्री संग हुई मुलाकात के बाद यह राहत की खबर आई है। फिलहाल रजिस्ट्री ऑफिस में एक बार फिर से रौनक नजर आने लगी है।
मगर यह खुशी आधी अधूरी है । जिला प्रशासन ने फिलहाल शहरी क्षेत्र की जमीनों पर लगी रोक हटाई है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह अब भी पूर्व की भांति बरकरार है। खासकर उन जमीन कारोबारियों के लिए यह परेशानी का सबब है, जिनकी जमीनों का सौदा ग्रामीण क्षेत्र में हुआ है। और ऐसे ही जमीन कारोबारियों की संख्या अधिक है। नाम ना छापने की शर्त पर जमीन कारोबार से जुड़े कुछ लोगों ने बताया कि मुंगेली शहरी क्षेत्र में कुछ चुनिंदा लोगों का ही ज़मीन कारोबार चल रहा है, जिन्हें लाभ पहुंचाने की गरज से यह फैसला लिया गया है। शिकायत करने वालों ने इस फैसले में पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि यह अपने आप में बड़ा अजीबोगरीब फैसला है। शिकायत शहरी क्षेत्र की हुई थी, लेकिन उस पर तो राहत दे दी गई है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की जमीन को इससे वंचित रखा गया है। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि जब शहरी क्षेत्र की जमीने अवैध से वैध हो चुकी है तो फिर ग्रामीण क्षेत्रों की जमीन की रजिस्ट्री अब भी क्यों अवैध है ? इन लोगों ने तत्काल शहरी क्षेत्र की ही भांति ग्रामीण क्षेत्रों में भी छोटे टुकड़ों की रजिस्ट्री की अनुमति मांगी है । ज़मीन कारोबारियों ने कहा कि अगर जिला प्रशासन उदारता पूर्वक शीघ्र निर्णय नहीं लेता है तो उनका एक प्रतिनिधिमंडल भी मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी मांग उनके समक्ष रखेगा।
पिछले 6 महीने से जमीन कारोबार से जुड़े सभी व्यवसायी परेशान थे। अप्रैल महीने में आये फैसले से कुछ कारोबारियों ने ही राहत की सांस ली है, शेष अब भी अनुमति की प्रतीक्षा कर रहे हैं । लिहाजा इस फैसले ने जमीन कारोबारियों के बीच ही खाई पैदा कर दी है। यही वजह है कि अब एक दूसरे पर ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है और एक दूसरे की जड़े खोदी जा रही है। पुराने राज खोले जा रहे हैं। जिला प्रशासन का दावा था कि मुंगेली में भू माफियाओं द्वारा अवैध तरीके से प्लाटिंग कर भोले भाले लोगों को ठगा जा रहा था, इस फैसले ने उन्हें कितनी राहत दी है, यह कहना फिलहाल मुश्किल है, लेकिन वर्तमान में जमीन खरीदने और बेचने वाले दोनों शासन के फरमान से परेशान हैं ।खासकर वो लोग जिनकी जमीनें ग्रामीण क्षेत्रों में है या फिर जिन लोगों ने ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन खरीदने का सौदा किया था।
मुंगेली में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के साथ जमीन कारोबार में आपसी संघर्ष ने जमीन कारोबार से जुड़े लोगों को काफी चोट पहुंचाई है, लेकिन फिलहाल भी उस पर मरहम लगाने की कोई कोशिश नजर नहीं आ रही। जिसकी लाठी उसकी भैंस की तर्ज पर पहुंच और रसूख रखने वाले लोगों ने अपने पक्ष में फैसला करा लिया और दूसरे उन्हें देखकर हाथ मल रहे हैं । जमीन व्यवसाय में पहले से ही मौजूद प्रतिस्पर्धा अब संघर्ष में तब्दील हो सकती है, इसलिए आवश्यक है कि जिला प्रशासन ने जिस तरह शहरी क्षेत्र में राहत दी है, उसी नियम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की रजिस्ट्री पर भी लगी रोक अविलंब हटा दी जाए। लेकिन फैसला प्रशासनिक अधिकारियों को लेना है, जिन पर पड़ने वाले राजनीतिक दबाव से भला कैसे इंकार किया जा सकता है ?
