
आलोक मित्तल


शुक्रवार को बैसाखी पर्व मनाया गया। बिलासपुर में भी सिख समाज द्वारा श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में इस अवसर पर विशेष दीवान सजाया गया। सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 को बैशाखी के दिन ही खालसा पंथ की स्थापना की थी। खालसा पंथ का उद्देश्य धर्म की रक्षा करना और समाज की भलाई करना है। इस वजह से सिखों के लिए बैशाखी का विशेष महत्व होता है। खलसा पंथ की स्थापना श्री केसरगढ़ साहिब आनंदपुर में हुआ था, इसलिए बैशाखी के दिन यहां पर विशेष उत्सव मनाया जाता है।पंजाब और हरियाणा में किसान अपनी फसल काट लेते हैं। फिर बैशाखी के दिन एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। नए कपड़े पहनते हैं और उत्सव मनाते हैं।

शाम को आग जलाकर उसके चारो ओर खड़े होते हैं।बैशाखी का पर्व हर वर्ष अप्रैल माह में मनाया जाता है। इसे कृषि पर्व भी कहते हैं क्योंकि पंजाब और हरियाणा में किसान अपने फसलों की कटाई कर लेते हैं और शाम के समय में आग जलाकर उसके चारो ओर एकत्र होते हैं। इसी कड़ी में बिलासपुर में भी बैसाखी का पर्व पंजाबी समाज ने धूमधाम से मनाया । इस अवसर पर दयालबंद स्थित गुरु सिंह सभा गुरुद्वारे में सुबह विशेष कीर्तन दरबार सजाया गया, जहां हजूरी रागी जत्थे के द्वारा समूह साध संगत को सबद कीर्तन से निहाल किया गया ।

बिलासपुर में इस अवसर पर दयालबंद स्थित श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में विशेष दीवान सजाया गया। खालसा पंथ की स्थापना दिवस पर अमृतसर से विशेष तौर पर पहुंचे कीर्तनी भाई गुरमीत सिंह जी शान द्वारा स्थानीय रागी जत्था के साथ कीर्तन दरबार सजाकर शबद कीर्तन की प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर भाई मान सिंह बदला द्वारा गुरमतवीचार एवं गुरमीत सिंह शान द्वारा कीर्तन की हाजिरी भरी गई । यह बताया गया कि किस उद्देश्य के साथ दशम गुरु श्री गोविंद सिंह जी महाराज ने इसी दिन अमृत छका कर पंज प्यारे की अगुवाई में खालसा पंथ की स्थापना की थी।

वैशाखी के पर्व पर पंजाबी समाज के द्वारा छबील सेवा दी गयी क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि वैशाखी के पर्व पर शीतलता हर और बरसे यही प्रयास समाज का होता है ।

वैशाखी के पावन अवसर पर सबद कीर्तन के साथ गुरु का अटूट लंगर भी वरताया गया ,जहां सभी पंजाबी समाज के सदस्यों ने गुरु का अटूट लंगर छखा। वैशाखी पंजाबियों का नववर्ष है लिहाजा समाज द्वारा वैशाखी के इस पर्व को खुशियों और उमंग के बीच मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारे में गुरु घर की खुशियां लेने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।
