
आकाश दत्त मिश्रा

अपने साथ बीते किसी दुर्घटना और दुखद हादसे के बाद आदमी या तो टूट जाता है या फिर यह संकल्प ले लेता है कि इन्हीं परिस्थितियों से गुजरने वालों का सहारा बन जाये। ऐसा ही कुछ हुआ अनिल राजेश के साथ। थैलेसीमिया की वजह से अपने युवा बेटे को खो चुके अनिल ने संकल्प लिया कि वे थैलेसीमिया पीड़ित अन्य बच्चों को असमय काल कवलित नहीं होने देंगे। अपने बेटे के जन्मदिन को उन्होंने इसी उद्देश्य के लिए समर्पित कर दिया।

थैलेसीमिया की गंभीर बीमारी से रक्त मे आये विकार के चलते अपने पुत्र को खो चुके पिता ने अपने बेटे के जन्मदिन को जन कल्याण कार्य के रूप मे मनाने का संकल्प लिया। पिता अनिल राजेश के पुत्र ऋषि राजेश को थैलेसीमिया के विकार से जूझना पड़ रहा था। परिवार की पूरी कोशिशो के बाद भी ऋषि को रक्त विकार से बचाया ना जा सका। बीते वर्ष मई माह मे महज़ 18 वर्ष की आयु मे ऋषि ब्लड मे आये इन्फेक्शन की वजह से अपने परिवार से बिछड़ गया। शोक संतप्त पिता अनिल राजेश ने निश्चय किया कि थैलेसीमिया जैसी रक्त विकार कि बीमारी मे रक्त की कमी कि पूर्ति के लिए ऋषि के प्रत्येक जन्मदिन पर विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया जायेगा। जिससे किसी भी माता पिता को रक्त की कमी से अपनों से बिछड़ना ना पड़े। पिता राजेश ने ऋषि फाउंडेशन का गठन कर रक्तदान शिविर आयोजित करने का संकल्प लिया। इसी तारतम्य में रायपुर रोड स्थित झूलेलाल मंदिर में स्व ऋषि के 20वे जन्मदिन पर ऋषि फाउंडेशन एवं सेवा भारती के संयुक्त तत्वाधान में विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में बड़ी संख्या में युवाओं ने रक्तदान कर कार्यक्रम को सफल बनाया।

थैलेसीमिया एक गंभीर विरासत में मिला रक्त विकार है। इस तरह की बीमारी से पीड़ित बच्चे को हर दो सप्ताह में एक यूनिट रक्त की जरूरत होती है। थैलेसीमिया मेजर का जीवित रहना जीवन भर बार-बार रक्त चढ़ाने और आयरन केलेशन पर निर्भर करता है। चूंकि लाल रक्त कोशिका आधान सबसे आम उपचार है, इसलिए ब्लड बैंक इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे मे अनिल राजेश द्वारा लिया गया संकल्प कई ज़िन्दगीयों के लिए वरदान ही साबित होगा।
