
आलोक मित्तल


हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी महाशिवरात्रि पर सरकंडा चांटीडीह स्थित शिव मंदिर में दूर-दूर से भक्त शिव आराधना के लिए पहुंचे हैं। महाशिवरात्रि पर हर वर्ष की तरह यहां मेला भी भरा है। मंदिर का संचालन करने वाले सोनी परिवार के पुरखे मंगली प्रसाद ने चार धाम यात्रा के बाद मंदिर का निर्माण किया था, जहां चारों धाम के प्रतीक स्वरूप मंदिर मौजूद है। मंगली प्रसाद सोनी ने ही महाशिवरात्रि पर मेले की परंपरा शुरू की थी। समय के साथ साथ यह मेला और बड़ा होता चला गया। आसपास के क्षेत्र में व्यापार बढ़ाने के अलावा मनोरंजन के उद्देश्य से मेले की शुरुआत की गई थी। उस दौरान व्यापारियों को मेले में बुलाने के लिए मनुहार करना पड़ता था ।अब तो व्यापारियों में प्रतिस्पर्धा नजर आती है ।

मंदिर में ध्वज चढ़ाने की भी पुरानी परंपरा है। बिलासपुर के बैंड बाजा पार्टी, कुम्हार, किन्नर , बजरंग दल, शिवसेना की ओर से महाशिवरात्रि पर इस बार भी शोभायात्रा निकालकर ध्वज चढ़ाया गया।
बताया जाता है कि 1923 में मंगली प्रसाद ने चारों धाम की तीर्थ यात्रा के बाद इस मंदिर का निर्माण कराया था। तब से उनके ही परिवार के सदस्य इस मंदिर की देखभाल कर रहे हैं। मंदिर का जीर्णोद्धार साल 2008 में किया गया था। हालांकि आसपास निर्माण कार्य होने से अब मेले का दायरा सिमटता जा रहा है लेकिन इस मेले को लेकर अभी भी आसपास के क्षेत्र में गहरी उत्सुकता है। मेले में झूले और तरह-तरह की दुकानों का आनंद लेते लोग देखे गए।

इसके अलावा यहां स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक करने कतार लगाकर भक्त अपनी बारी की प्रतीक्षा करते रहे। 3 दिनों के इस मेले को लेकर हर बार की तरह उत्साह नजर आ रहा है।
