बिलासपुर में स्मार्ट सिटी योजना के तहत रिवर साइड रोड का निर्माण किया जा रहा है। दावा है कि यहां रोड निर्माण के लिए पुराना पुल के पास मौजूद 100 वर्ष पुराने पीपल के वृक्ष की बलि ली जाएगी। सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल होते ही कई संगठन अब इस पेड़ को बचाने की मुहिम में जुट गए हैं। इसकी शुरुआत मंगलवार को रिवर व्यू पर हनुमान चालीसा पाठ के साथ टीम मानवता और आश्रयनिष्ठा ने की। इन के साथ और भी कई लोगो ने हाथों में स्लोगन वाले तख्ते लिए इस पेड़ को बचाने की अपील की। लोगों ने चिपको आंदोलन की तरह पेड़ को बचाने के लिए आंदोलन करने का भी निर्णय किया।
विकास के नाम पर पेड़ों की बलि देने और विनाश को निमंत्रण देने के खिलाफ बुधवार 6:00 बजे से हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। इस मुद्दे को अलग-अलग संगठनों कई स्तर पर उठा रही है। इसी कड़ी में टीम मानवता और आश्रयनिष्ठा द्वारा लोगों को अभियान से जोड़ने हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। पीपल का पेड़ सर्वाधिक ऑक्सीजन देने वाले पेड़ में से है, इसके छांव में न जाने कितने जीवन पनपते हैं। सरकंडा मुक्तिधाम की ओर जाने वाली हर अंतिम यात्रा ईसी पेड़ की छांव में कुछ पल ठहरती है, इसलिए इस पीपल के पेड़ के साथ बिलासपुर की जन भावना भी जुड़ी हुई है, इसलिए इस पेड़ को बचाने के लिए हर संभव प्रयास की बात कही जा रही है।
दावा किया जा रहा है कि प्रशासन गुपचुप तरीके से अनुमति लेकर इस पेड़ को भी काटने की तैयारी में है जबकि यह प्राचीन पीपल का पेड़ बिलासपुर की धरोहर है। इस 100 साल से भी अधिक पुराने पेड़ को बचाकर भी सड़क का निर्माण किया जा सकता है। पहले ही बिलासपुर के लिंक रोड पर हरे भरे पेड़ों की बलि ली गई जिसका श्राप आज भी कई लोगों का पीछा नहीं छोड़ रहा। अब एक बार फिर यही गलती मौजूदा प्रशासन करने जा रही है । अगर जल जीवन है तो पेड़ भी प्राणवायु है । पेड़ों को काट कर , विकास की कल्पना नहीं की जा सकती।
विकास के लिए सड़के जितनी जरूरी है उससे कहीं अधिक जरूरी है पेड़ पौधे । फिलहाल तो सड़क के नाम पर विशालकाय पीपल के पेड़ को काटने का हर स्तर पर विरोध हो गस्य है। सत्ताधारी दल के भी कई लोग इसके विरोध में सोशल मीडिया पर पोस्ट लिख रहे हैं । अब अलग-अलग संगठनों के सामने आने से इस पेड़ को बचाने की मुहिम तेजी पकड़ेगी। इसी तरह का मामला मध्यप्रदेश में भी सामने आया था, जिसमें जन भावनाओं को देखते हुए आखिरकार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पेड़ को बचाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि सड़क मुड़ सकती है लेकिन पेड़ नहीं हट सकते। अब वैसी ही इच्छाशक्ति की उम्मीद छत्तीसगढ़, खासकर बिलासपुर के लोग कर रहे हैं। देखना होगा कि प्रशासन और रणनीतिकार इस मामले में क्या फैसला लेते हैं। फिलहाल लोगों ने साफ कह दिया है कि अगर इस विशालकाय पीपल पेड़ पर कुल्हाड़ी चलेगी तो पहली कुल्हाड़ी उन पर चलानी होगी, पहले पेड़ बचाने की मुहिम में जुड़े लोगों पर प्रहार करना होगा। बिलासपुर की जनता अब जागरूक हो चुकी है, जिन्हें पेड़ों का महत्व पता है। हर साल बढ़ती तेज गर्मी , नीचे जाता भूमिगत जल स्तर यही इशारा कर रहा है कि अब भी अगर हम सचेत ना हुए तो फिर यह शहर किसी के भी रहने लायक नहीं रहेगा, इसलिए पेड़ लगाना और पेड़ों को बचाना प्राथमिकता सूची में पहले दर्जे पर होने लगी है।