
यूनुस मेमन


महाशिवरात्रि पर्व पर सभी शिवालयों में भक्त उमड़ पड़े हैं। धार्मिक नगरी रतनपुर में भी स्थित छोटे बड़े कई मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है, लेकिन सर्वाधिक भीड़ प्राचीन और ऐतिहासिक बुद्धेश्वर महादेव यानी बूढा महादेव के मंदिर में नजर आ रही है। आदिवासियों के इष्ट देव बूढादेव के नाम पर भोले भंडारी का नाम बूढ़ा महादेव पड़ा। महाशिवरात्रि से एक दिन पहले भक्त कांवर में जल लेकर पदयात्रा करते हुए मंदिर पहुंचे। तड़के से ही यहां श्रद्धालुओं की लंबी कतार नजर आने लगी। इस स्वयंभू शिवलिंग को लेकर गहरी जनआस्था है। श्रद्धालुओं का मानना है कि बुद्धेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने से उनकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती है।

भगवान शंकर के स्वयंभू लिंगो में से एक रतनपुर बूढा महादेव का अति प्राचीन मंदिर अपनी प्रसिद्धि के साथ ही अपने आप में कई गूढ़ रहस्यों को भी समेटे हुए हैं। रतनपुर स्थित रामटेकरी की तराई में सुरम्य वादियों में स्थित प्राचीन मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन हर बार की तरह जनसैलाब इस शनिवार को उमड़ पड़ा। जनश्रुति के अनुसार है इस मंदिर को द्वापर युग में राजा वृद्धसेन ने बनवाया था। जिनके नाम से ही है वृद्धेश्वर नाथ महादेव नाम पड़ा ।1050 में राजा रत्नदेव ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।

क्या है इस प्राचीन मंदिर की विशेषता
धर्मग्रंथों व इतिहास मे प्राचीन काल से ही भगवान शिव के अनेक रूपों की उपासना का उल्लेख मिलता है, किंतु रतनपुर का वृधेश्वर नाथ महादेव असीमित आश्चर्य व रहस्यों को समेटे हुए हैं, जहां आज महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तों का मेला जैसा माहौल है , रतनपुर का यह वृधेश्वर नाथ महादेव का मंदिर अति प्राचीन है, जिसके निर्माण तिथि का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता, यह एक ऐसा पहला मंदिर है जहाँ यह शिवलिंग “जटारूप” में विद्यमान है। जिस प्रकार भगवान शिव की जटा फैली हुई है, ठीक यह शिवलिंग को देखने पर वैसा ही प्रतीत होता है, ऐसा अद्भुत शिवलिंग विश्व में और कहीं देखने व सुनने को नहीं मिलता, इसके अलावा यह शिवलिंग असीमित रहस्यों को समेटे हुए हैं,जिसमे इस शिवलिंग का ऊपरी भाग खुला हुआ है और इसमें एक निश्चित स्तर तक हमेशा जल भरा रहता है, जिसमे विभिन्न अवसरों पर अनवरत हजारों घड़े जल चढ़ाया जाता है, किंतु वह जल कहां जाता है आज तक कोई नहीं जान पाया और जल का स्तर उतना ही बना रहता है जो आज के इस कलयुग में एक सुखद आश्चर्य है, और यह एक रहस्य का विषय बना हुआ है।

अन्य मंदिरों में भी रही भीड़
इस बार शिवरात्रि पर भी सुबह 4:00 बजे से ही है भक्तों की कतार नजर आने लगी थी। बूढ़ा महादेव के अलावा रतनपुर में सिद्ध शक्तिपीठ मां महामाया देवी मंदिर , पंचमुखी मंदिर, कंठी देवल मंदिर आदि में भी महाशिवरात्रि के अवसर पर पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालु पहुंचे, जिन्होंने भोले भंडारी की उपासना कर सुख समृद्धि शांति का आशीर्वाद मांगा।
