
आलोक मित्तल

जिस तरह पहले शराब ठेके को लेकर मारामारी रहती थी कुछ वही हाल अब रेत घाटों के ठेके को लेकर है। गुरुवार को कलेक्ट्रेट में रेत के ठेके लेने वालों की भीड़ नजर आई। गुरुवार को शाम 5:30 बजे तक 1100 सौ लोगों के फॉर्म ही जमा हो पाए इसलिए देर रात तक यहां फॉर्म जमा करने की प्रक्रिया चलती रही। बताया जा रहा है कि इसमें से अधिकांश आवेदन तो पूर्व शराब ठेकेदारों ने ही डलवाए हैं। अमलडीहा,उदईबंद और लछनपुर घाटों को ठेके पर देने के लिए गुरुवार को फॉर्म जमा करने का अंतिम दिन था इसलिए सुबह 10:30 बजे से ही कलेक्ट्रेट स्थित खनिज विभाग के कार्यालय में बोलिदारो की भीड़ जुटने लगी थी। बोलीदार लंबी लाइन लगाकर फॉर्म जमा करते देखे गए। खनिज विभाग को उम्मीद थी कि करीब 1600 फॉर्म भरे जाएंगे।

इस बार भी पूर्व शराब ठेकेदारों के साथ राजनीतिक जगत से जुड़े, जमीन कारोबारी और पूर्व के रेत ठेकेदारों ने फॉर्म भरे हैं। इसके लिए शुक्रवार को मंथन सभा कक्ष में नीलामी की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। जाहिर है रेत का कारोबार भारी मुनाफे का कारोबार बन चुका है। सरकार ने रेत घाटों को ठेके पर देने का निर्णय आम लोगों को राहत देने के नाम पर किया था लेकिन हो इसका उलट रहा है। जब से रेत घाट ठेके पर दिए जा रहे हैं तब से रेत की कीमते आसमान पर पहुंच गई है। इसलिए एक बार फिर से मांग उठ रही है कि रेत घाटों का संचालन पूर्व की तरह किया जाए।
शुक्रवार को मंथन सभाकक्ष में एक-एक कर तीनों घाटों का ऑक्शन किया जा रहा है इसके लिए किसी व्यक्ति की आंख में पट्टी बांधकर पर्ची निकाली जाएगी और जिस की पर्ची निकलेगी उसे घाट दिया जाएगा। वैसे माना जा रहा है कि घाट किसी को भी मिले, चलाएंगे रसूखदार ही और इस बार भी आम ग्राहकों को कोई राहत मिलने वाली नहीं है। फिलहाल मुनाफे के इस खेल में बड़े-बड़े रसूखदार शामिल है जिनकी निगाहें इस नीलामी पर टिकी हुई है।
