आलोक मित्तल
मामूली घटना पर आरक्षक की अति प्रतिक्रिया और व्यक्तिगत रुचि के चलते बिल्हा क्षेत्र में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। विकलांग पिता की आरक्षक द्वारा अपनी आंखों के सामने लात मारकर पिटाई देखने से आहत बेटे ने ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी थी, तो पुलिस ने उसे ही शराबी करार दे दिया, जिसके बाद लोगों का आक्रोश भड़क उठा।
ग्राम भैंसबोड़ निवासी 23 वर्षीय हरिश्चंद्र गेंदले की मोटरसाइकिल एक युवती के साइकिल से टकरा गई थी। छात्रा ने इसकी शिकायत थाने में की थी। थाने से आरक्षक रूपलाल चंद्रा को लेकर वह गांव पहुंची तो घर पर हरिश्चंद्र नहीं मिला। जिसके बाद आरक्षक, हरीश चंद्र के विकलांग पिता भागीरथी को पीटते हुए थाने लेकर गया। पिता को थाने ले जाने की सूचना पाकर हरिश्चंद्र भी थाने पहुंचा। बताया जा रहा है हरिश्चंद्र के सामने ही आरक्षक ने उसके विकलांग पिता को लात से मारा, जिस से दुखी होकर हरिश्चंद्र ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली।
पिता भागीरथी का आरोप है कि इसके बाद भी आरक्षक ने मामले को रफा-दफा करने के लिए वसूली की कोशिश की। भागीरथी ने बताया कि उसके 6 बच्चों में हरीश सबसे बड़ा और इकलौता कमाने वाला था। 3 साल पहले एक्सीडेंट में पिता का पैर टूट गया, तब से हरीश ने पढ़ाई छोड़ कर रोजी मजदूरी करनी शुरू कर दी थी। वही घर चला रहा था। घर में उस पर आश्रित माता-पिता के अलावा भाई और तीन बहने भी हैं।
घटना बेहद मामूली थी लेकिन जिस तरह से एक आरक्षक ने हरीश की जगह उसके पिता को थाने ले जाकर पिटाई की थी उससे मामला भड़क गया है। ग्रामीणों ने रातभर थाने के सामने धरना प्रदर्शन करते हुए हंगामा मचाया। इधर मामले को संज्ञान में लेते हुए एसएसपी ने आरक्षक रूपलाल चंद्रा को लाइन अटैच कर दिया है और मामले की जांच के लिए कमेटी भी बना दी है, लेकिन ग्रामीण उसके खिलाफ f.i.r., गिरफ्तारी और परिजनों को ₹10 लाख मुआवजा राशि देने की मांग कर रहे हैं।