आलोक मित्तल
घर के सामने खाली पड़ी जमीन पर बागवानी करना महिला को भारी पड़ गया।
अक्सर स्व सहायता समूह की महिलाओं को नारी शक्ति का दर्जा देकर उनकी खूब तारीफ की जाती है, लेकिन यही तारीफ कई बार उन्हें अति उत्साहित कर अपराध की दुनिया में भी धकेल सकती है। ऐसा ही नजारा मंगला क्षेत्र के दीनदयाल आवासीय कॉलोनी में नजर आया, जहां स्व सहायता की महिलाओं ने दबंगई की सारी हदें पार कर दी।
मंगला के दीनदयाल आवासीय कॉलोनी में हेमिन वस्त्रकार रहती है, जिन्होंने अपने घर के सामने खाली पड़ी जमीन पर बागवानी बनाकर कुछ पौधे लगा दिए हैं। इसी कॉलोनी से लगे ग्राम लोखंडी में संचालित महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं स्वयं को इलाके की चौधरी समझती है। कोई कुछ भी करें तो वह दखल देने जरूर पहुंचती है । रविवार दोपहर भी समूह की महिलाएं बड़ी संख्या में हाथों में लाठी, डंडा, कुल्हाड़ी जैसे हथियार लेकर हेमिन वस्त्रकार के घर पहुंची। दोपहर को समूह की महिलाओं ने दरवाजा खटखटाया और दरवाजा खोलते ही सभी धड़धड़ाकर अंदर घुस गई। घुसते ही इन लोगों ने गाली गलौज करते हुए मारपीट शुरू कर दी। घर के सामने लगे बगीचे को तुरंत हटाने , नहीं तो उसे तोड़ देने की धमकी दी गई।
हंगामा कर रही स्व सहायता समूह की महिलाओं ने घर का दरवाजा बंद कर परिवार को बंधक भी बना दिया। हेमीन वस्त्रकार का बचाव करने जब पड़ोसी प्रभा जैसवाल पहुंची तो महिलाओं ने उसे भी पीट दिया।
किसी तरह हेमिन बाई और उनके परिवार के सदस्यों ने पुलिस को इसकी सूचना दी। जब तक पुलिस पहुंचते तब तक स्व सहायता समूह की महिलाएं वापस लौट चुकी थी।
इधर इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं हाथ में लाठी डंडा लेकर हंगामा करते नजर आ रही है। समूह की महिलाओं का दावा है कि नगर निगम में शामिल होने के बाद यहां की जमीनों की कीमत बढ़ गई है इसलिए भू-माफिया और बेजा कब्जा धारी यहां की जमीन कब्जा कर रहे हैं, जिसका वह विरोध कर रही हैं। वैसे यह काम नगर निगम का है और अगर विरोध करना है तो उसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक ढंग से विरोध करना चाहिए । इलाके में कई भू माफिया सक्रिय है अब तक ऐसी कोई खबर नहीं मिली जिसमें इन महिलाओं ने इन भू माफिया के खिलाफ इस तरह का प्रदर्शन किया हो।
अपने घर के सामने खाली पड़ी जमीन पर पेड़ पौधे लगाना कोई अपराध नहीं है। पर्यावरण विभाग भी इसके लिए लोगों को प्रोत्साहित करता है। पेड़ पौधे लगाने का मतलब यह नहीं है कि जमीन पर किसी का कब्जा हो गया। सरकारी जमीन खाते में सरकारी ही रहेगी और आवश्यकता पड़ने पर सरकार उसे कभी भी ले सकती है, लेकिन इतनी सी बात पर इस तरह से बलवा करना किसी भी सूरत में उचित नहीं कहा जा सकता ।पुलिस ने फिलहाल हंगामा करने वाली महिलाओं के खिलाफ बलवा का मामला पंजीबद्ध किया है।
इधर अपराध करने वाली महिलाएं अपराधबोध अनुभव करने की बजाय अपने इस कृत्य को महिमामंडित करती नजर आ रही है। उन्हें लगता है कि उनकी इस हरकत के लिए उन्हें पुरस्कृत कर सम्मानित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी वे इस तरह का अभियान चलाते रहेंगी।