


धार्मिक नगरी रतनपुर की पहचान मां महामाया मंदिर में एक बार फिर से भंडारे को आरंभ किया गया है।
आरोप लग रहे थे कि धार्मिक आस्था के केंद्र रतनपुर महामाया मंदिर में नए ट्रस्ट के बनने के साथ ही एक-एक कर धार्मिक आयोजनों को समाप्त किया जा रहा है। सबसे बड़ा असर यहां मिलने वाले प्रसाद को लेकर लोग अनुभव कर रहे थे। पूर्व में यहां मंदिर दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं और दरिद्र नारायण के लिए निशुल्क भोजन प्रसाद की सेवा प्रदान की जा रही थी, जिसे अकारण बंद कर दिया गया ।कुछ साल पहले यहां सशुल्क भोजन की व्यवस्था की गई थी, जहां नाम मात्र की राशि लेकर कूपन उपलब्ध कराया जाता था और उसी कूपन के आधार पर मंदिर में शुद्ध शाकाहारी भोजन प्रदान किया जाता था, लेकिन इस सेवा को भी कोरोना को कारण बता कर बंद करें काफी समय हो गया। नई कार्यकारिणी से उम्मीद की जा रही थी कि वह इन सेवाओं को बहाल करेगी लेकिन ऐसा कुछ प्रत्यक्ष दिख नहीं रहा था।

मंदिर दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु शुचिता की वजह से शुद्ध शाकाहारी भोजन करने को प्राथमिकता देते हैं। रतनपुर में ऐसे तो कई भोजनालय है लेकिन कोई भी पूर्णतया शुद्ध शाकाहारी नहीं है। इसी कारण से शाकाहारी परिवार ऐसे भोजनालय में भोजन करने से परहेज करता है। उनकी प्राथमिकता मंदिर से मिलने वाले प्रसाद की ओर होती है। लेकिन यह सेवा बंद हो जाने से वे निराश लौट रहे थे। मीडिया द्वारा इस खबर के प्रसारण के बाद एक बार फिर मंदिर ट्रस्ट ने जन भावनाओं की कदर की है और उन्हें सशुल्क भोजन सेवा को आरंभ किया है। इसके लिए मंदिर परिसर में ही प्रति व्यक्ति ₹20 का कूपन उपलब्ध कराया जा रहा है। ₹20 में पूरी, चावल सब्जी ,दाल, अचार आदि भरपेट उपलब्ध कराया जा रहा है।
पहले दिन ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने इस सेवा का लाभ लिया। किसी भी मंदिर की पहचान वहां उपलब्ध होने वाले प्रसाद से भी है। सामान्य भोजन तो कहीं भी मिल जाता है लेकिन प्रसाद प्राप्त कर जो आनंद किसी भक्त को प्राप्त होती है उसका कोई विकल्प नहीं। देश के सभी बड़े मंदिरों में मिलने वाला प्रसाद आकर्षण की वजह है। लेकिन रतनपुर में यह सेवा बंद हो जाने से दूर दूर से पहुंचने वाले श्रद्धालु निराश हो रहे थे। एक बार पुनः सेवा आरंभ हो जाने से नाम मात्र के शुल्क में श्रद्धालुओं को सुस्वादु भोजन मंदिर परिसर में ही उपलब्ध होने लगा है। भोजन का शुल्क अत्यंत कम होने से भिक्षुक और अन्य वर्ग भी इस सेवा का लाभ आसानी से ले सकेंगे। वहीं दानदाता जन्मदिन या किसी अन्य शुभ अवसर पर अपने खर्च पर कुछ जरूरतमंदों को भी इस सेवा के माध्यम से भोजन उपलब्ध करा पाएंगे। कुल मिलाकर महामाया मंदिर ट्रस्ट की इस पहल की हर और सराहना हो रही है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि कोरोना काल बीत जाने के बाद अब मंदिर की सभी पुरानी परंपराएं वापस आरंभ की जाएगी।

