आलोक
23 अक्टूबर 2011 की शाम तार बाहर रेलवे फाटक में हुए हादसे में 20 लोगों की जान चली गई थी और दर्जनों लोग घायल हो गए थे। रेलवे पटरी के दोनों और रिहायशी इलाके होने की वजह से लोग पटरी पार कर आवाजाही करते थे, जिस कारण यह हादसा हुआ । इसके बाद वर्षों पुरानी मांग पर रेल प्रशासन की नींद खुली और यहां अंडर ब्रिज का निर्माण किया गया। लेकिन हमेशा की तरह रेलवे के अधिकारियों ने अव्यावहारिक फैसला लेते हुए ऐसा अंडर ब्रिज बनाया जिससे समस्या अब भी बरकरार है। तार बाहर से सिरगिट्टी की ओर अंडर ब्रिज को अधूरा बनाया गया है। अंडर ब्रिज जिस स्थान पर खत्म होता है उसके बाद भी रेलवे की पटरी होने की वजह से मालगाड़ी की आवाजाही के दौरान लोगों को अब भी इंतजार करना पड़ता है और इस वजह से दुर्घटना की आशंका भी बरकरार है। इसके निदान के लिए पिछले कुछ दिनों से लगातार शहर में एक जन आंदोलन चलाया जा रहा है।
जो रेलवे बिलासपुर में सड़क निर्माण तक के लिए फंड की कमी का रोना रो रहा है उससे अंडर ब्रिज के विस्तार या ओवरब्रिज निर्माण की उम्मीद की जा रही है। इसी मुद्दे पर गुरुवार को बड़ी संख्या में क्षेत्र के लोग बन्नाक चौक सिरगिट्टी से जुलूस की शक्ल में डीआरएम एवं जोन ऑफिस पहुंचे। इसकी सूचना पहले से होने की वजह से रेलवे जोन और डीआरएम ऑफिस के दरवाजे बंद कर दिए गए थे। हाथों में तिरंगा लिए आंदोलनकारियों ने यहां रेलवे प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और इस समस्या के निदान की मांग की। वही इस मुद्दे पर कलेक्टर को भी ज्ञापन सौंपा जाना है।
इस मुद्दे को पहले भी रेलवे क्षेत्र के पूर्व पार्षद वी रामा राव ने उठाया था। क्षेत्र के अन्य नेता भी गाहे-बगाहे इस मुद्दे पर मुखर होते रहे हैं। रेलवे ने भारी-भरकम बजट से अंडरब्रिज निर्माण किया लेकिन समाधान संभव नहीं हो पाया। रेलवे अंडर ब्रिज पूरी तरह से रेलवे लाइन को पार नहीं कर रही है। अब भी ब्रिज के बाद रेलवे लाइन होने से लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसे लेकर पटरी के उस पार , खासकर सिरगिट्टी क्षेत्र के नागरिक आक्रोशित हैं, जिन्हें बड़े दावे के बावजूद समाधान नहीं मिल पाया है। इसलिए क्षेत्र में एक ओवर ब्रिज की मांग भी लंबे समय से की जा रही है। हालांकि इसे लेकर रेलवे का रवैया टालमटोल वाला ही रहा है।