बिप्लब कुण्डू–13.11.22

पखांजुर–
अमाबेड़ा क्षेत्र में विगत दिनों से धर्मान्तरण का मुद्दा छाया हुआ है, कुछ ही दिनों पहले चैती भाई वाले मामले के बाद आज अमाबेड़ा थाना अंतर्गत ग्राम अर्रा में कुछ मतांतरित परिवार के लोगों को गांव से निकालने की खबर आई थी, साथ ही उनका गांव में हुक्का पानी बंद करने की खबर के साथ अपने खेत में फसल ना काटने के साथ ही गांव में ना रहने की हिदायत दी थी, जिसकी शिकायत संबंधित लोगों ने थाना अमाबेड़ा में किया था किंतु शाम तक प्रशासन की सूझबूझ से मामला को शांत कर लिया गया दोनों पक्षों को मिलाकर बातचीत करने के उपरांत मामला शांत कराया, प्रशासन ने लोगों को आपस में मिलजुलकर ऐसे मामलों को आपस में सुलझाने की बात कही।


ग्रामीणों व मतांतरित परिवार की आपसी सुलह समझौते के बाद मतांतरित परिवार वापस अपने मूल समाज में आ गया । बता दें लगातार ऐसी घटना हो रही है जबकि भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र में आचार संहिता लगी हुई है, साथ कुछ ही दिनों बाद चुनाव भी होने की है ,इस स्थिति में बार-बार धर्मांतरण एवं मतांतरण का मामला शासन प्रशासन एवं सत्ताधारी पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया है। पक्ष विपक्ष इस मामले को राजनीतिक मुद्दा बनाए जाने को लेकर एक दूसरे पर हमला कर रही है वही इन मामलों में ग्रामीणों के साथ बीजेपी के कुछ नेताओं का होना कांग्रेस के नेताओं को एक मुद्दा दे दिया है। कि भाजपा चुनाव को ध्यान में रखकर गांव के इस मामले को लगातार तूल दे रही है।
बहरहाल गांव से निष्कासित बताए जा रहे महेश कुमार कावड़े साथ ही तुलसीबाई पोटाई ने ग्राम के गायता पटेल साथ ही गांव के प्रमुखों के सामने अपने मूल धर्म को स्वीकारते हुए उसी समाज में अपने ग्रामीणों के साथ रहकर जीवन बिताने का निर्णय लिया लिया ।
वहीं ग्राम पंचायत अर्रा के सरपंच रमेश मंडावी का कहना है की गांव के भोले भाले आदिवासी अपने समाज से किसी के बहकावे में आ गए थे और हमारी प्रथाओं को भूलने लगे थे जिन्हे आपसी समझौते से वापस अपने समाज में बिना दबाव के समझाइश के बाद मिला लिया गया है।

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