प्राथमिक शालाओं में मातृभाषा बांग्ला भाषा में शिक्षक मांग पर तहसीलदार के हाथों सौंपा ज्ञापन

पखांजुर से बिप्लब कुण्डू–

पखांजुर
छत्तीसगढ़ मातृभाषा बांग्ला एवं शिक्षा संग्राम समिति ने वर्षों से मातृभाषा बांग्ला भाषा को पढ़ाने कि मांग पर लगातार आन्दोलन कर रहे है। प्राथमिक शालाओं में मातृभाषा बांग्ला भाषा में शिक्षक और पाठ्य पुस्तकों वितरण के मांग पर राज्यपाल , मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री आदि के नाम पर तहसीलदार के हाथों सौंपा ज्ञापन। कार्यालय सचिव अलोक विश्वास अध्यक्ष अजीत मिस्त्री समिति सक्रिय सदस्य अनिमेष विश्वास,तुलसी,
भारती,आदि ने कहा है कि हमारा देश दुनिया में विविधता में एकता की बेमिसाल और महान देश है। अनुच्छेद 45 में संविधान लागू अनुच्छेद 350 अ प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में प्राप्त करने की अधिकार रखता है।विद्यालयों में बंगला भाषा पढ़ाए जाने शिक्षा वर्ष कि सेटअप अनुसार सन प्रत्येक स्कूलों में बंगला भाषा में शिक्षा प्रदाय हेतु शिक्षकों की भर्ती किया गया। तत्पश्चात छत्तीसगढ़ राज्य की शिक्षा संस्थानों में मातृभाषा बांग्ला में शिक्षाको कि नियुक्ति सन 1989के बाद से अनेक बार अन्य विषयों में शिक्षकों की भर्तियां हुई है। परंतु मातृभाषा बांगला भाषा में पढ़ाने हेतु शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं हुई है। जबकि शिक्षा में मातृभाषा बांगला में शिक्षा देने की अनुच्छेद 350(अ ) अधिकार रहने के बावजूद भी प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा बंगला भाषा कि शिक्षा प्राप्त करने की सुविधाओं बंगाली व बंगला भाषा-भाषी वंचित है।छत्तीसगढ़ राज्य में प्राथमिक शाला से मातृभाषा बांग्ला भाषा में शिक्षा के साथ – साथ कक्षा की प्रत्येक विषय बांगला भाषा में शिक्षा हेतु शिक्षक, पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तक,निगम रायपुर (छःग) द्वारा बांग्ला भाषा पढ़ने हेतु मुद्रित पुस्तक में स्वर वर्ण, व्यंजन वर्ण आदि अक्षर ज्ञान आदि लिखने, पढ़ने योग्य मातृभाषा बांगला भाषा में बोली भाषा की पुस्तके नहीं स्वतंत्र भाषा शिक्षा हेतु बांगला भाषा की अलग पुस्तके मुद्रित कर वितरण किया जाए

।समिति ने शासन प्रशासन के समक्ष रखनिम्नलिखित मांग रखे है.विषयवार अर्जित अंको का विवरण सुचि में मातृभाषा बांगला भाषा की प्राप्त अंक जोड़ने की स्थान भी रखा जाए।.शैक्षणिक वर्ष में, प्राथमिक स्तर की भाषा शिक्षा प्रदाय हेतु पहली से पांचवी तक की कक्षाओं बांग्लाभाषा कि किताबें छतीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम की प्रकाशन में प्रकाशित कर उक्त पुस्तक से बुनियादी शिक्षा दिया जाए।
. मातृभाषा एवं बांग्लाभाषा में पढ़ाने के लिए 1989 के पश्चात बांगला भाषा की शिक्षकों की खाली परें तमाम बांगला भाषा की शिक्षकों की पदों पर बंगाला भाषा कि शिक्षकों की तत्काल नियुक्त किया जाए।. महाराष्ट्र की विश्वविद्यालय एवं अन्य राज्यों के तर्ज पर छत्तीसगढ़ की विश्वविद्यालय में भी बांग्लाभाषा में स्त्नातक स्तर की शिक्षा प्रदाय करने की व्यावस्था किया जाए एवं बंग्ला भाषा बोर्ड गठन और बंगला भाषाविदों को नियुक्त किया जाये व भाषा शिक्षा हेतु उनसे परामर्श लिया जाए।. बांग्ला के साथ समस्त मातृभाष पढ़ने-लिखने, सिखाने की व्यवस्था (स्कुल, लाइब्रेरी में पर्याप्त भाषा साहित्य पुस्तक) की व्यवस्था किया जायें।.प्रथम श्रेणी से पास फेल प्रणाली लागु किया जाय एवं ग्रेडिंग प्रणाली बंद कर पुरानी श्रेणी विभाजन पद्धति चालू किया जायें।.शिक्षकों को शिक्षा कार्य के अलावा अन्य कार्य में व्यस्त न रखा जाये। वोट योग्य की तालिका, जनगणना, आन्य सर्वे,विविध विभागीय कार्य आदि से शिक्षकों को मुक्त किया जाए। उन कार्यों की सम्पादन हेतु शिक्षित बेरोजगार को सीधी भर्ती करें। बेरोजगारों को शिक्षकों की विविध कार्य की पद पर नियुक्ति देकर उनसे सर्वे आदि कार्य करवाये जायें।.स्कुल एवं शिक्षण संस्थाओं में छात्रों के लिए स्वच्छ पानी, शौचालय, पंखा, लाइट,भवन, बैठने आदि की सु-संगठित बुनियादि व्यवस्थ किये जायें।अजय,प्रकाश, गोबिंद,अशित,देवजीत,कांचन,नरत्तम,देबु,कर्ण,छोटु,आयुष,पियुष,आशुतोष, मृत्युंजय, सुधीर, भोला,तुलसी,भारती,बीना,अशिम,इमान,विशाल,भवशतोष,अनादि प्रविन,सूरंजन,आदि उपस्थित रहे।

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