मथुरा में नवीन विद्यालय भवन और बाजार शेड का विधायक नाग ने किया लोकार्पण —

पखांजूर से बिप्लब कुण्डू–

नवीन विद्यालय भवन 1 करोड़ 21 लाख और बाजार शेड 66 लाख रुपए की लागत से हुआ निर्मित विधायक नाग बोले मनुष्य को समाज में प्रतिष्ठित काम करने के लिए प्रेरणा देती है शिक्षा

पखांजूर-
आज अंतागढ़ विधायक अनूप नाग ग्राम पंचायत एसेबेड़ा के आश्रित गांव मथुरा में विभिन्न विकास कार्यों के लोकार्पण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने पहुंचे जहां महिलाओ, बच्चो समेत समस्त ग्रामीणों ने विधायक नाग का बड़े आत्मीयता से स्वागत किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष इंद्रजीत विश्वास द्वारा की गई ।

इस दौरान विधायक नाग ने 1 करोड़ 21 लाख रुपए की लागत से निर्मित नवीन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भवन का लोकार्पण कर क्षेत्रवासियो को समर्पित किया और इसके साथ ही विधायक नाग ने मथुरा बाजार में 66 लाख रुपए की लागत से निर्मित बाजार शेड का भी लोकार्पण कर मथुरा वासियों को समर्पित किया ।

विधायक नाग ने इस दौरान नवीन विद्यालय भवन के लिए अतिशीघ्र टेबल बेंच प्रदान करने और विद्यार्थियों के मांग पर साइकिल स्टैंड का भी निर्माण करने की घोषणा की ।

शिक्षा अपनी और देश की प्रगति के लिए मददगार :- नाग

विधायक नाग ने स्कूली बच्चों को संबोधित करते हुए कहा की शिक्षा हमारे देश की प्रगति के लिए बहुत ज़रूरी है। हमारे देश में शहरों की तुलना में गाँव के लोग कम शिक्षित होते हैं । शिक्षा हमारी खुद की और देश की प्रगति में मदद करती है। शिक्षित आदमी को समाज में मान सम्मान भी खूब मिलता है। हम शिक्षा के माध्यम से जीवन में बहुत सफलता प्राप्त कर सकते है। इसलिए हमारे और समाज का शिक्षित होना जरूरी है और ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार के विद्यालय के निर्माण से बच्चो के साथ साथ उनके अभिभावकों को भी अपने बच्चो को शिक्षा देने के लिए रुचि बढ़ जाती है ।

शिक्षा से मनुष्य के अंदर लाती है अच्छे विचार :- विधायक नाग

विधायक नाग ने कार्यक्रम में आगे बताया की शिक्षा और शिक्षा का मंदिर ( स्कूल या विद्यालय ) मनुष्य के अंदर अच्छे विचारों को लाती है और बुरे विचारों को बाहर करती है । शिक्षा मनुष्य के जीवन का मार्ग दिखाती है। उन्होंने कहा यह मनुष्य को समाज में प्रतिष्ठित काम करने के लिए प्रेरणा देती है। इससे मनुष्य के अंदर मनुष्यता आती है। इसके माध्यम से मानव समुदाय में अच्छे संस्कार डालने में पर्याप्त मदद मिलती है।

उन्होंने कहां की शिक्षा मनुष्य को पशु से ऊपर उठाने वाली प्रक्रिया है। पशु अज्ञानी होता है उसे सही या ग़लत का बहुत कम ज्ञान होता है। अशिक्षित मनुष्य भी पशुतुल्य होता है। वह सही निर्णय लेने में समर्थ नहीं होता है। लेकिन जब वह शिक्षा प्राप्त कर लेता है तो उसकी ज्ञानचक्षु खुल जाती है। तब वह प्रत्येक कार्य सोच-समझकर करता है। उसके अंदर जितने प्रकार की उलझनें होती हैं, उन्हें वह दूर कर पाने में सक्षम होता है। शिक्षा का मूल अर्थ यही है कि वह व्यक्ति का उचित मार्गदर्शन करे । जिस शिक्षा से व्यक्ति का सही मार्गदर्शन नहीं होता, वह शिक्षा नहीं बल्कि अशिक्षा है।

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