उसलापुर में ग्रीन बेल्ट पर अवैध प्लॉटिंग: निगम की कार्रवाई, 10 मकानों की बाउंड्रीवॉल ढहाई गई

बिलासपुर, छत्तीसगढ़। शहर से लगे उसलापुर क्षेत्र में 18 एकड़ की आरक्षित ग्रीन बेल्ट जमीन पर लंबे समय से चल रही अवैध प्लॉटिंग और निर्माण कार्य पर शनिवार को नगर निगम ने कार्रवाई की। निगम की अतिक्रमण और भवन शाखा की संयुक्त टीम ने यहां बने 10 मकानों की बाउंड्रीवॉल को तोड़ दिया और निर्माण सामग्री को जब्त कर लिया गया। हालांकि दोपहर 3 बजे के बाद कार्रवाई को रोक दिया गया, जिससे कई सवाल उठ खड़े हुए हैं।

टुकड़ों में बेची गई जमीन, बन गए 40 से ज्यादा मकान

जानकारी के अनुसार, उसलापुर क्षेत्र की लगभग 18 एकड़ जमीन आमोद-प्रमोद और हरित क्षेत्र (ग्रीन बेल्ट) के लिए आरक्षित थी। बावजूद इसके, महेंद्र जांगड़े नामक व्यक्ति ने इस जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर बेचना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे यहां 40 से अधिक पक्के मकान खड़े हो गए। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह प्रक्रिया एक-दो दिन की नहीं, बल्कि वर्षों से चल रही थी, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों ने इस ओर आंखें मूंद रखी थीं।

जोन-1 की कमिश्नर की अनदेखी?

अवैध प्लॉटिंग और निर्माण की इस गतिविधि से संबंधित जोन-1 की कमिश्नर रंजना अग्रवाल और इंजीनियरिंग विभाग को इसकी जानकारी नहीं होना आश्चर्यजनक है। सवाल यह भी उठता है कि जब जमीन काटी जा रही थी और मकान बन रहे थे, तब निगम की भवन अनुज्ञा शाखा ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि या तो यह जानबूझकर की गई अनदेखी थी या फिर अधिकारियों की मिलीभगत।

कार्रवाई शुरू हुई, फिर अचानक रोकी गई

शनिवार सुबह 10 बजे से शुरू हुई कार्रवाई में निगम की टीम ने 10 मकानों की बाउंड्रीवॉल ढहा दी और निर्माण कार्य में प्रयुक्त सामग्री को जब्त कर लिया। भवन अधिकारी सुरेश शर्मा ने बताया कि यह जमीन ग्रीन बेल्ट और सार्वजनिक सुविधा के लिए आरक्षित है, जिस पर अवैध कब्जा किया गया था। कार्रवाई अभी जारी रहेगी। वहीं, अतिक्रमण शाखा प्रभारी प्रमिल शर्मा ने भी कार्रवाई की पुष्टि की है।

हालांकि दोपहर 3 बजे कार्रवाई को बिना कोई स्पष्ट कारण बताए रोक दिया गया, जिससे क्षेत्र में संशय और असंतोष फैल गया। नागरिकों का कहना है कि यदि समय पर यह कार्रवाई की जाती, तो आज लोगों के मकान नहीं टूटते। कई लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि जब मकान बन रहे थे, तब निगम ने कार्रवाई क्यों नहीं की?

स्थानीय लोगों में रोष, न्याय की मांग

इस कार्रवाई से प्रभावित परिवारों में नाराजगी है। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से यह जमीन खरीदी और मकान बनाया, अब प्रशासन उन्हें अवैध बता रहा है। कई लोगों ने प्रशासन पर मनमानी करने और बिना पूर्व सूचना के कार्रवाई करने का आरोप लगाया है। साथ ही यह भी मांग की है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई की जाए, जिन्होंने इस गैरकानूनी निर्माण को समय रहते नहीं रोका।

निगम की अगली कार्रवाई पर निगाहें

नगर निगम ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई अभी पूरी नहीं हुई है और आगे भी जारी रहेगी। लेकिन अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या निगम इस बार पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ काम करेगा, या फिर यह कार्रवाई भी किसी दबाव में आकर अधूरी रह जाएगी

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