हरेली से प्रदेश में शुरू हुई गोमूत्र खरीदी योजना, 5 लीटर गोमूत्र बेचकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बने पहले विक्रेता, गोमूत्र से किया जाएगा जीवामृत कीट नियंत्रक उत्पाद तैयार

आलोक मित्तल

छत्तीसगढ़ के लोक पर्व हरेली पर राज्य सरकार ने महत्वकांक्षी गोमूत्र खरीदी योजना की शुरुआत की। स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी गौशाला से गोमूत्र लेकर चंद्रपुरी की निधि स्व सहायता समूह के खरीदी स्टॉल पहुंचे। इससे पहले मुख्यमंत्री ने विधि विधान के साथ कृषि औजारों की पूजा अर्चना की । मुख्यमंत्री अपने साथ लेकर पहुंचे 5 लीटर गोमूत्र को बेचने से पहले समूह के लिस्ट में अपना नाम पता दर्ज करवाया। उसके बाद गोमूत्र को मापा गया। ₹4 प्रति लीटर की दर से गोमूत्र खरीदने के बाद ₹20 का तुरंत भुगतान भी मुख्यमंत्री को मिल गया। इस तरह वे इस योजना के पहले विक्रेता बन गए। योजना के पहले चरण में प्रत्येक जिले की दो आत्मनिर्भर गोठनो में इसे खरीदा जाना है। सरकार ने इसके लिए कम से कम ₹4 प्रति लीटर की दर तय की है। कोई गोठान समिति अगर इससे अधिक कीमत में गोमूत्र खरीदना चाहती है तो वैसा कर सकती है।

मुख्यमंत्री ने गुरुवार सुबह गोमूत्र की खरीदी शुरू कर दी। हालांकि वे इसके विधिवत शुभारंभ के लिए दुर्ग के पाटन विकासखंड के करसा गांव में आयोजित हरेली तिहार कृषि सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे, जहां से पूरे राज्य में इस योजना की शुरुआत की गई । यहां उन्होंने मालवीय नगर चौक पर स्वर्गीय दाऊ वासुदेव चंद्राकर की प्रतिमा का भी अनावरण किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में जैविक खेती के प्रयासों को बढ़ावा देने के मकसद से गोमूत्र खरीदी योजना शुरू की गई है। इससे पशुपालकों को गोमूत्र बेचकर अतिरिक्त आय होगी। वही महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से जीवामृत किट नियंत्रक उत्पाद तैयार किए जाने से रोजगार के नए आधार मिलेंगे। इन जैविक उत्पादों का उपयोग किसान रासायनिक कीटनाशक के बदले कर सकेंगे, जिससे कृषि लागत कम होगी। इससे पहले साल 2020 में हरेली से ही गोधन न्याय योजना की शुरुआत हुई थी, तब से लेकर अब तक 150 करो रुपए से अधिक की गोबर राज्य सरकार खरीद चुकी है।

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