आबादी और अवैध प्लॉटिंग की भेंट चढ़ते जलाशय, खत्म होते प्राचीन परम्परागत जल स्त्रोत

आकाश दत्त मिश्रा

आजकल भारत के अधिकांश राज्यों में बाढ़ से तबाही के नजारे देखे जा सकते हैं, लेकिन कुछ ही महीनों बाद इन्ही राज्यों में जल संकट नजर आएगा, जिसके पीछे मुख्य वजह है कि हम पर्याप्त जल संरक्षण नहीं कर पाते। तालाबों की संख्या लगातार घट रही है क्योंकि तालाबों की बेशकीमती जमीन पर भूमाफिया की नजर टिकी हुई है। पिछले कुछ सालों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं , जहां तालाब की जमीन को नियम विरुद्ध प्लॉटिंग कर बेचा गया है । इनमें से अधिकांश मामलों में कोई कार्यवाही नहीं हुई तो कुछ मामले अब भी लंबित है।

भारत में जल आपूर्ति व संरक्षण के लिए मोदी सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल उपयोगिता को लेकर जल जीवन मिशन, हर घर नल योजना जैसी अनेक योजनाएं और कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। जिससे कोई भी किसान, गरीब , क्षेत्र और पानी बिना बर्बाद न हो। इसी क्रम में बारिश का पानी सहेजने के लिए मोदी सरकार ‘केच द रैन’ अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत तालाब व अन्य जलाशय बनाए जा रहे हैं, जिनमें बारिश का पानी सहेजा जा रहा है। जिनमें बारिश का पानी आसानी से सहेजा जा सकता है। लेकिन विडम्बना है की प्रदेश के कई क्षेत्रों में जल संरक्षण करने नए तालाबो का निर्माण तो दूर बल्कि तालाबो को पाटकर व्यवसायिक उपयोग के लिए प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर प्लाटिंग कार्य शुरू किए जा रहे है, अवैध प्लाटिंग के इस व्यवसाय से जुड़े शहरों और भूमाफियाओं की फेहरिस्त बहुत लंबी है लेकिन जीवन से जुड़ी वैश्विक समस्याओं को कम करने में सहयोग की बजाय अपने व्यक्तिगत लाभ पर फोकस है।

इस अभियान का लक्ष्य देश में वर्षा जल संरक्षण के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम और विशेष कार्य योजनाएं तैयार करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस कैच द रेन कैंपेन को शुरू करते हुए कहाँ कि ‘जहां भी गिरे और जब भी गिरे, वर्षा का पानी इकट्ठा करें। अगर आज जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो मानव जीवन को भविष्य खतरे में पड़ सकता है।’

रतनपुर बिलासपुर मुंगेली सरगांव पथरिया क्षेत्र में तालाबो के संरक्षण और जल आपूर्ति को लेकर प्रशासन को कैच द रेन अभियान के तहत गम्भीरता से कार्य करने की आवश्यकता महसूस तब होने लगती है जब जल के अभाव में सरकार के खाते से फसल की कम पैदावार की वजह से बीमा वितरण किया जाता है , यदि जल पर्याप्त होगा तो निश्चित तौर पर फसल बेहतर होगी।

यह अभियान जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत अगले 8 महीने तक चलाया जायेगा। लेकिन कोई गतिविधि देखने नही मिली
कैच द रेन अभियान अपने नाम के अनुसार वर्षा जल को इकठ्ठा करने से जुड़ा हुआ है।
देश में मानसून आने से पहले वर्षा जल संचय करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने पर विशेष बल दिया जायेगा।
जल संचय करने से जुड़े कार्यों जैसे रेन वाटर हार्वेस्टिंग, वृक्षारोपण, पोखरों की सफाई और निर्माण आदि करवाए जायेंगे .
यह अभियान Catch the Rain where it falls, when it falls है।
कैच द रेन कैंपेन को प्री-मानसून और मानसून अवधि में भारत के सभी जिले में जन आन्दोलन के रूप में चलाया जायेगा। देखना होगा कि केंद्र और राज्य सरकार इस महत्वपूर्ण अभियान को लेकर कितनी गंभीर है होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!