अपनी सास को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाली महिला के खिलाफ सबूत जुटा कर उसे ब्लैकमेल करने के मामले में नया मोड़ आ गया है ।अब मृत महिला की बेटी ने भाभी के खिलाफ शिकायत दर्ज की है । मामले को पूरा समझने के लिए शुरू से शुरू करना होगा । सरकंडा लोधी पारा में रहने वाली बेगम बाई ने 19 सितंबर को मिट्टी तेल डालकर खुद को आग लगा ली थी , जिसके बाद उसे इलाज के लिए सिम्स में भर्ती किया गया था। 26 सितंबर को सिम्स में उपचार के दौरान बुजुर्ग महिला की मौत हो गई। इस मामले की विवेचना कर रही सरकंडा थाने की एस आई गायत्री सिन्हा ने इसके बाद मृत बेगम बाई की बहू ललिता कौशिक को फोन कर थाने बुलाया और उसे कहा कि उसके खिलाफ पुख्ता सबूत की व्यवस्था हो गई है जिसके चलते उसे 14 साल की सजा हो सकती है।
असल में जिस वक्त बेगम बाई अस्पताल में भर्ती थी उसी दौरान तीन कथित पत्रकारों अखिलेश डेहरिया, रविंद्र विश्वकर्मा और संतोष साहू ने कथित तौर पर महिला का बयान रिकॉर्ड किया था। कहते हैं इस वीडियो रिकॉर्डिंग में बेगम भाई ने अपनी बहू ललिता द्वारा मिट्टी तेल डालने और आग लगाने की बात कही थी। इसी सबूत के नाम पर ललिता कौशिक को ब्लैकमेल करते हुए 3 लाख रुपये की मांग की गई। ललिता कौशिक के पति दिल हरण कौशिक का भी निधन हो चुका है और ललिता कौशिक भी मामूली कामकाज करती है, इसलिए उसके लिए तीन लाख जैसी भारी भरकम रकम जुटाना मुमकिन नहीं था, इसलिए उसने इसकी शिकायत एसपी से कर दी। तीन मीडिया कर्मियों के साथ सरकंडा थाने में पदस्थ महिला एसआई के खिलाफ गंभीर आरोप के लगते ही पूरे विभाग में हलचल मच गई और आनन-फानन में शिकायतकर्ता ललिता कौशिक को ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया । वही जांच के नाम पर कथित मीडिया कर्मियों से पूछताछ शुरू कर दी गई। सरकंडा थाने में पदस्थ एस आई गायत्री सिन्हा लंबे वक्त से अपने कामकाज के लिए सुर्खियों में रही है। इसी थाने में उनके पति बी आर सिन्हा भी एसआई के पद पर ही पदस्थ है । एक ही थाने में पति-पत्नी के पदस्थ होने से भी विभाग में यह चर्चा का विषय है।
मामले को रफा-दफा करने के नाम पर ललिता कौशिक से 3 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के मामले में संगीन आरोप लगने के बाद एक बार फिर से गायत्री सिन्हा चर्चा में है, इसलिए अब पुलिस विभाग अपने एसआई को बचाने के लिए तमाम हथकंडे आजमाने लगा है। इस घटना में एक और पात्र की एंट्री की गई है। बेगम भाई की बेटी नंदिनी कौशिक ने मामले में नई एंट्री करते हुए एसपी को एक और ज्ञापन दिया है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि उनकी मां ने मीडिया कर्मी अखिलेश डेहरिया के सामने कैमरे पर बहु द्वारा मिट्टी तेल डालकर जलाने की बात कही थी । इसी रिकॉर्डिंग की वीडियो सीडी के आधार पर महिला आरोपी को ब्लैकमेल करने की कोशिश की गई थी। बताते हैं कि इस मामले में ललिता कौशिक से फर्जी पत्रकार रविंद्र विश्वकर्मा अखिलेश डेहरिया और संतोष साहू ने भी मोटी रकम की मांग की थी। मुमकिन है कि ललिता कौशिक ने ही अपनी सास को आत्महत्या के लिए प्रेरित किया था। यह भी संभव है कि ललिता कौशिक ने ही अपनी सांस पर मिट्टी तेल डालकर उसे जान से मारने की कोशिश की। लेकिन अगर यह सच है तो इस सच को 4 माह से दबाकर रखने का क्या औचित्य था ? आखिर इसके पीछे क्या मकसद छुपा था। अगर महिला के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं तो उसके आधार पर महिला की गिरफ्तारी होनी चाहिए थी ना कि उसे थाने में बुलाकर फर्जी मीडिया कर्मियों के साथ मिलकर उससे 3 लाख रुपये की मांग करनी थी। आखिर यह सब कुछ किन नियमों के तहत किया जा रहा था। इन सवालो का जवाब देने की जगह विभाग अब अपने एस आई और उसके सहयोगी तीन फर्जी पत्रकारों को बचाने का प्रयास कर रहा है। वहीं तीनों फर्जी पत्रकारों से बिलासपुर प्रेस क्लब ने भी पल्ला झाड़ लिया है । कहते हैं इससे पहले भी यह तीनों फर्जी पत्रकार इसी तरह का गोरखधंधा किया करते थे लेकिन विभाग की महिला एसआई द्वारा उनके साथ मिलकर आरोपी महिला से उगाही करने के आरोप के बाद अपने कर्मचारी को बचाने के लिए पुलिस को इन तीनों फर्जी पत्रकारों के लिए भी डाल ढाल मुहैय्या कराना पड़ रहा है, ऐसे में इंसाफ मुश्किल है । इस संगीन आरोप के बाद सभी दोषियों के खिलाफ गंभीर जांच होनी चाहिए थी लेकिन पुलिस की कार्यवाही का पक्षपात उसी दौरान नजर आ गया जब शिकायत करने वाली महिला ललिता कौशिक को ही आनन-फानन में जेल भेज दिया गया। अब तो पुलिस के लिए उसका बयान लेना भी मुश्किल हो चुका है क्योंकि इसके लिए कोर्ट से अनुमति की जरूरत होगी। ऐसे में इस मामले में निष्पक्ष और त्वरित जांच पर संदेह के बादल मंडराने लगे हैं। वैसे पत्रकार जगत में भी भेड़ के वेश में कई भेड़िए शामिल हो चुके हैं, जिनकी पहचान बेहद जरूरी है। पत्रकारिता के मापदंड तय होने भी जरूरी है नहीं तो कोई भी कहीं से भी उठकर खुद को मीडिया कर्मी बताकर ब्लैकमेल का काला कारोबार आरंभ कर देता है और कई मर्तबा दो जाने अनजाने मीडिया जगत भी उनके साथ खड़ा नजर आता है । इस बार यह अच्छी बात रही कि पत्रकारों ने तीनों फर्जी मीडिया कर्मियों से पल्ला झाड़ लिया लेकिन फिलहाल चल रही जांच से ऐसा लग रहा है कि पुलिस महिला एसआई को बचाने की कोशिश में तीनों फर्जी पत्रकारों का भी बचाव कर रही है। अगर ललिता कौशिक ने अपनी सास को जलाने की कोशिश की भी है तो भी सच का दूसरा पहलू यह भी है कि इस मामले में गायत्री सिन्हा और उसके तीन फर्जी पत्रकार साथियों ने आरोपी महिला को धमकाकर ब्लैकमेल का प्रयास किया है ।इसलिए इन चारों के खिलाफ भी सख्त कार्यवाही की जरूरत है, तभी वर्दी पर लगा दाग साफ हो सकेगा।