आलोक मित्तल
बिलासपुर रेलवे क्षेत्र के बुधवारी बाजार में एक बार फिर आरपीएफ ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया। 60 से 70 साल पुराने इस बाजार में रेलवे स्कूल सोना स्वीट्स के सामने अस्थाई दुकान लगाने वालों के कारण जाम की स्थिति बनती है ।यहां एक कतार में इस तरह की दुकानें लग गई है, तो वहीं ठेले में और सड़क पर भी रोज दुकानें सजती है। उसके बाद लोग अपने वाहन पार्किंग कर देते हैं। इस कारण से यहां आना जाना दूभर हो रहा है ।अधिकांश दुकानें अवैध है तो वहीं बिना इजाजत ठेलों पर भी कारोबार किया जा रहा है। जिस पर कार्रवाई करते हुए r.p.f. ने यहां गुरुवार को सभी ठेलों को खदेड़ दिया और उनके ठेले सामानों सहित जप्त कर लिए, तो वही अवैध रूप से संचालित गुमटी नुमा दुकानों को भी खाली करने का आदेश जारी किया।
r.p.f. की इस कार्यवाही का व्यापारियों ने विरोध कर दिया। जिस वजह से यहां हंगामे की नौबत आ गई। व्यापारियों की दलील है कि व्यापार करने के लिए उनसे हर दिन 50 से डेढ़ सौ रुपए का शुल्क लिया जाता है ।इसके बाद भी उन्हें आर पी एफ इस तरह से परेशान करती है ।व्यापारियों ने दावा किया कि आरपीएफ के जवान उनसे हफ्ता वसूली करते हैं। पिछले 2 महीने से उनको पैसे ना देने के चलते ही उन पर इस तरह की कार्यवाही की जा रही है। ठेले वालों ने दावा किया कि हर ठेले से 25 से ₹30 आरपीएफ प्रतिदिन लेती है ।उनकी जेब न भरने का ही खामियाजा इस तरह से भुगतना पड़ रहा है। इसे लेकर गुमटी वालों और हाथ ठेले वाले व्यापारियों ने डीआरएम से मुलाकात करने का निर्णय लिया है। हालांकि आरपीएफ की कारवाही कानून बिल्कुल जायज है। यहां बाहर से आकर बड़ी संख्या में लोग ठेलों पर या फिर सड़क पर अपनी दुकानें सजा रहे हैं । धीरे-धीरे पूरी सड़क बाजार में तब्दील होती जा रही है। पार्किंग की जगह और फुटपाथ पर भी दुकानें सज चुकी है। बिलासपुर रेलवे स्टेशन जाने भी यह मार्ग है ।वही यहां रेलवे स्कूल भी मौजूद है ।दुकानों के चलते यहां आवाजाही में दिक्कत होती है, जिस पर कार्यवाही की भी मांग समय-समय पर उठती रही है। अब देखना होगा इस मुद्दे पर व्यापारियों के विरोध के आगे रेलवे झुकती है या फिर इस गतिरोध को दूर करने का कोई और रास्ता ढूंढा जाता है।