
रायगढ़ के तमनार पुलिस का बर्बर चेहरा सामने आया है। मामूली अपराध के आरोपी के साथ पुलिस द्वारा बेरहमी से पिटाई करने और उनसे 50 हज़ार रुपये मांग करने का आरोप है। मामले का हैरान करने वाला पहलू यह है कि इस मामले में दोषी तीन पुलिसकर्मियों में से मुख्य आरोपी को ही साफ बचा लिया गया है ।तमनार मैं रहने वाले युगल किशोर साहू के खिलाफ एक युवती ने शिकायत दर्ज करायी थी कि उसने उस लड़की की तस्वीर किसी फिल्मी गाने के साथ मिक्स कर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था। इतनी मामूली बात पर तमनार पुलिस के 3 सिपाही रोशन तिर्की, विनोद कुजूर और कमलेश्वर राठिया एवं वाहन चालक आरोपी के घर घुस गए ।
उस वक्त युगल किशोर साहू अंदर कमरे में सोया हुआ था। बताते हैं कि पुलिस उसके कमरे के अंदर घुस गई और उसे पीटते हुए बाहर तक घसीट लायी। जब युगल किशोर के पिता चित्रसेन साहू ने बीच-बचाव का प्रयास किया तो पुलिस ने पहले तो उन्हें भी पीटा और फिर दोनों को पुलिस जीप में भर कर थाने ले आई। आरोप है कि यहां पिता पुत्र दोनों पर थर्ड डिग्री का प्रयोग किया गया। युवक के साथ उसके बुजुर्ग पिता को भी नहीं बख्शा गया। आरोप है कि बेल्ट और किसी नुकीले औजार से दोनों को टॉर्चर किया गया। दोनों की हालत बिगड़ने पर पुलिस उन्हें तमनार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करा कर चलती बनी। जहां दोनों की हालत बिगड़ने पर उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है। वर्तमान में दोनों का वहां इलाज जारी है।
इधर मामले के तूल पकड़ने पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। युगल किशोर साहू और उसके पिता ने एसपी को शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि तमनार थाने के आरक्षक द्वारा उनसे मामले को रफा-दफा करने के एवज में ₹50,000 की मांग की गई थी। उन्हें धमकाया गया था कि अगर पुलिस को ₹50,000 नहीं दिए गए तो उनके खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। आरोप है कि 20 मार्च 2022 को चित्रसेन साहू के भाई सुरेश चंद्र साहू के मोबाइल पर तमनार थाने के आरक्षक रोशन तिर्की द्वारा फोन कर ₹50,000 की मांग की गई थी। इस दौरान जुगल किशोर साहू को फसाने की भी धमकी दी गई थी। विपक्ष का कहना है कि अगर तमनार थाने के सीसीटीवी फुटेज की जांच की जाए तो सच्चाई सबके सामने होगी।
पुलिस अब इस मामले पर पर्दा डालने का प्रयास कर रही है। मामले को रफा-दफा करने पुलिस ने आरक्षक रोशन तिर्की और विनोद कुजूर को तो सस्पेंड कर दिया है लेकिन विभाग में अपनी धाक रखने वाले मामले के कथित मास्टरमाइंड आरक्षक को क्लीन चिट देते हुए बख्श दिया गया है । इस मामले में सहआरोपी कमलेश्वर राठीया के खिलाफ विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की है और वह अब भी पहले की ही तरह थाने में जमा हुआ है। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उस आदेश को भी दरकिनार करते हुए आरक्षक कमलेश्वर राठिया 4 साल से एक ही थाने में जमा हुआ है जिसमें कहा गया था कि किसी भी पुलिस कर्मचारी की पोस्टिंग एक थाने में ढाई साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। जानकारों के अनुसार कमलेश्वर राठिया बैच क्रमांक 1043 विभाग में गहरी पकड़ रखता है और उसकी पहुंच बड़े अफसरों तक है । वह कई बड़े अफसरों का मुंह लगा हुआ है जिनके इशारे पर वह नैतिक अनैतिक कार्य करता है। यही कारण है कि पिता-पुत्र को टॉर्चर करने और उनसे 50,000 की उगाही करने के गंभीर आरोप के बावजूद कमलेश्वर राठिया पर किसी तरह की आंच नहीं आई है। पीड़ित पक्ष ने संदेह जताया है कि दोषी आरक्षक कमलेश्वर द्वारा सीसीटीवी फुटेज जैसे सबूत मिटाने की कोशिश जरूर की जाएगी ।इस मामले में पीड़ित पक्ष ने एसपी को ज्ञापन देकर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर रायगढ़ पुलिस दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करती है तो फिर आईजी से लेकर गृह मंत्री और मुख्यमंत्री को भी मामले में ज्ञापन सौंपा जाएगा।
हैरानी का विषय यह है कि जिस मामले में दोषी अन्य दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ जो कदम उठाया गया है, उससे उनके साथी कमलेश्वर राठिया को क्यों बक्श दिया गया ? कम से कम मामले की जांच तक तो उन्हें सस्पेंड या लाइन अटैच किया जाना चाहिए था , ताकि वे जांच को प्रभावित ना कर पाए। ऐसे में पीड़ित पक्ष का आरोप है कि पुलिस अपने विभाग के कर्मचारियों को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है और उल्टे उन्हें ही डराया धमकाया जा रहा है। इस मामले में आरोपी आरक्षको ने कानून की सीमाओं का अतिक्रमण किया है। आरोपी को गिरफ्तार करने की बजाय उसकी और उसके निर्दोष पिता की भी बेरहमी से पिटाई , उनसे ₹50,000 की मांग जैसे गंभीर आरोप के बावजूद अगर किसी पुलिसकर्मी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही तक ना हो तो फिर इंसाफ की उम्मीद किससे की जाए ? उम्मीद है कि इस मामले की शिकायत अब गृह मंत्री और मुख्यमंत्री को किए जाने के बाद ही दोषी सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभाग कार्यवाही करेगा।
