आयुर्वेद डिग्री के सहारे एलोपैथी इलाज करने वाले डॉक्टर की लापरवाही से गई महिला मरीज की जान, परिजनों को धमकाने का भी आरोप, कथित डॉक्टर ने मीडिया कर्मियों से भी की बदसलूकी

कैलाश यादव

कथित आयुर्वेदिक डिग्री के जरिए एलोपैथी इलाज करने वाले झोलाछाप डॉक्टर के लापरवाही से मरीज की मौत होने का आरोप परिजनों ने लगाया है। मन्नाडोल निवासी कलिंद्री बाई सूर्यवंशी की तबीयत रविवार शाम से खराब थी। उसे उल्टी दस्त की शिकायत थी। इसके बाद परिजन उसे इलाज के लिए सोमवार सुबह करीब 11:00 बजे तिफरा काली मंदिर रोड स्थित संजीवनी क्लिनिक लेकर पहुंचे, जहां उस वक्त डॉक्टर नितिन वी योगी मौजूद नहीं था। डॉक्टर की गैर मौजूदगी में नर्स और कंपाउंड ने ही मरीज का इलाज शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि मरीज को कोई इंजेक्शन लगाया गया और फिर ग्लूकोज की बोतल चढ़ाई गई, लेकिन इस बीच कलंद्री बाई की तबीयत बिगड़ने लगी और उसके मुंह से झाग निकलने लगा। इसी दौरान वहां डॉक्टर नितिन योगी पहुंच गया , जिसने मरीज की बिगड़ती हालत देखकर परिजनों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वे उसे कहीं और लेकर जाए।

कलिंदरी बाई के निकट रिश्तेदारों का आरोप है कि इसी दौरान कलिंदरी बाई की मौत हो चुकी थी। उसकी मौत के बाद भी पल्ला झाड़ने के लिए डॉक्टर नितिन योगी उन पर दबाव बनाने लगा कि वे मरीज को लेकर उसके क्लीनिक से कहीं और चले जाए। जब परिजन नहीं माने तो डॉक्टर ने जबरन एक ऑटो में मरीज की डेड बॉडी रखवा दी। परिजनों का यह भी आरोप है कि इस बीच डॉक्टर नितिन योगी ने कथित तौर पर सिरगिट्टी पुलिस से फोन पर बात कर परिजनों पर महिला को कहीं और ले जाने के लिए दबाव बनवाया, लेकिन इस बीच बात फैल गई और फिर यहां जन प्रतिनिधि भी पहुंच गए। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम भी मौके पर जांच के लिए पहुंची, जिन्होंने कई दस्तावेज जप्त कर लिए हैं और मामले की जांच कर रही है।


हैरानी तो इस बात की है कि स्वास्थ्य विभाग की कथित निगरानी के बावजूद शहर के मुख्य मार्ग पर एक कथित आयुर्वेद का डॉक्टर बाकायदा एलोपैथी का इलाज कर रहा है , जिसका दावा है कि मरीज की हालत पिछले दो दिनों से खराब थी ।उसे उल्टी दस्त की तकलीफ थी। इलाज के दौरान उसका ब्लड प्रेशर लो था, इसलिए उसे इंजेक्शन लगाया गया। उसकी हालत फिर भी नहीं सुधरी इसलिए वह उसे किसी और अस्पताल भेजना चाहता था। इस दौरान संजीवनी क्लीनिक के संचालक डॉक्टर नितिन योगी ने मीडिया कर्मियों के साथ भी बदसलूकी की और उन पर अपनी खीज निकाली, लेकिन फिर यहां भीड़ लग गई और जनप्रतिनिधि भी मौके पर पहुंचे तो दबाव में प्राथमिक तौर पर मरीज के परिजनों को डॉक्टर द्वारा ₹50,000 का मुआवजा दिया गया है। इसी के साथ डॉक्टर नितिन योगी के खिलाफ जांच कमेटी भी बनाई गई है ।पुलिस ने भी मर्ग कायम कर जांच रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज करने की बात कही है ।

बिलासपुर और आसपास न जाने ऐसे कितने झोलाछाप डॉक्टर है जो किसी भी अर्जी- फर्जी डिग्री के सहारे एलोपैथी इलाज कर रहे हैं। अक्सर ग्रामीण ऐसे डॉक्टरों पर भरोसा कर लेते हैं, जिस कारण उनकी जान पर आ बनती है। यह दरअसल स्वास्थ्य विभाग की बड़ी नाकामी है कि उनकी नाक के नीचे इस तरह के झोलाछाप डॉक्टर पनप रहे हैं। डॉक्टर नितिन योगी के पास भी आयुर्वेद की डिग्री है , वह भी असली है या नकली, कहना मुश्किल है, जिसके सहारे वह एलोपैथी का इलाज कर रहा था । जाहिर है उसने अपराध किया है फिर भी स्वास्थ्य विभाग की टीम यह कह रही है कि मामले में जांच के बाद कार्रवाई होगी। क्या उन्हें आरंभिक तौर पर यह नजर नहीं आ रहा कि कैसे भला एक बीएएमएस डिग्री धारी एलोपैथी इलाज कर रहा था ? इसलिए पूरे मामले में परिजनों को इस बात पर काम ही यकीन है कि उन्हें न्याय मिल पाएगा। वह तो मीडिया और जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंच गए थे , इसलिए उन्हें ₹50,000 का मुआवजा मिल गया , नहीं तो उन्हें धमकाकर भगाने की पूरी तैयारी डॉक्टर नितिन योगी और उनके कर्मचारियों ने कर ली थी।

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