
मो नासीर

लिंक रोड में हुए सड़क हादसे में मामला उलझ गया है। दूसरे दिन भी मृतिका के परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया। रविवार सुबह भारतीय नगर में रहने वाले नाबालिक अपने पालतू कुत्ते का इलाज कराने अस्पताल ले गए थे। दावा किया जा रहा है कि सीएमडी कॉलेज के पास से लौटने के दौरान अचानक उनका कुत्ता स्टेयरिंग पर चढ़ गया, जिससे कार चला रहा नाबालिक कार पर नियंत्रण खो बैठा और उसकी कार पहले डिवाइडर से टकराई और फिर 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वही एक कमर्शियल कंपलेक्स में काम कर रहे मजदूरों को रौंदते हुए पलट गई।
इस सड़क हादसे में 8 मजदूर घायल हुए तो वही सरकंडा साइंस कॉलेज अटल आवास में रहने वाली सरस्वती पोर्ते की मौत हो गई । सभी घायलों को अस्पताल में भर्ती किया गया। रविवार को मजदूर मुआवजे के नाम पर अड़े रहे। प्रशासन द्वारा उन्हें तत्काल सहायता राशि के रूप में ₹5000 देने की पेशकश की गई, लेकिन मजदूरों ने उसे ठुकरा दिया। सोमवार को जिला अस्पताल में महिला का पोस्टमार्टम कर उसका शव परिजनों को सौंपने का प्रयास किया गया। बताया जा रहा है कि प्रशासन द्वारा मृतिका के परिजनों को स्वेच्छा अनुदान के तहत ₹5000 देने की पेशकश की गयी थी, लेकिन उसके साथी एकमुश्त पूरी राशि की मांग कर रहे हैं। चूंकि कागजी कार्यवाही में समय लगता है इसलिए राजस्व आपदा प्रबंधन द्वारा दी जाने वाली अनुदान राशि ₹25,000 लेकर मौके पर पटवारी दीपक मिश्रा स्वयं पहुंचे। लेकिन मजदूरों ने उनसे यह राशि लेने से भी मना कर दिया।

पटवारी दीपक मिश्रा ने बताया कि सरस्वती की बेटी सहायता राशि लेने को एक समय तैयार की थी लेकिन अन्य मजदूरों के दबाव के आगे वह ऐसा नहीं कर पाई। दावा किया जा रहा है कि शराब पीकर पहुंचे कई मजदूरों ने अस्पताल में हंगामा मचाया और जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों के साथ बदसलूकी की।
हैरान करने वाली बात यह है कि इन मजदूरों का गुस्सा निर्दोष पटवारी पर उतर रहा है। जैसे इन्हें इस हादसे को अंजाम देने वाले से कोई शिकायत ही नहीं हो। जो उनकी मदद करने आगे आ रहे उन्हें ही मजदूरों का कोप भाजन बनना पड़ रहा है। मजदूरों द्वारा मृतिका के अंतिम संस्कार के लिए दी जा रही राशि स्वीकार नहीं किए जाने और मृतिका का शव दूसरे दिन भी ले जाने से इंकार करने से अब संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जिला प्रशासन अपने स्तर पर लगातार समझौते का प्रयास कर रहा है। यहां तक कि जो राशि अभी स्वीकृत नहीं हुई है , उसे भी अधिकारी अपने स्तर पर अग्रिम प्रदान करने भी तैयार है, लेकिन अब इसके बाद मजदूरों की नई मांगे सामने आ रही है, जो प्रशासन के लिए सरदर्द बना हुआ है।

जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों का मानना है कि कुछ मजदूर मृतिका के परिजनों को बरगला कर संकट उत्पन्न कर रहे हैं । इससे एक तरफ जहां जिला प्रशासन के अधिकारी परेशान है तो वहीं मृतका के परिजन भी इस बेवजह की हठधर्मिता के चलते उसका अंतिम संस्कार तक नहीं कर पा रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि सभी घायलों का इलाज चल रहा है और तहसीलदार ने स्वयं निर्देश दिया है कि उनके इलाज में किसी तरह की कसर ना रहे। शासन द्वारा दी जाने वाली मुआवजा राशि भी सभी को नियमानुसार प्रदान की जाएगी। लेकिन उसमें थोड़ा समय लगेगा। ऐसे में अगर मृतिका के परिजन और उसके साथी अपनी जिद पर यूं अड़े रहेंगे तो फिर संकट बरकरार रहेगा। वैसे जो राशि बाद में मिलने वाली है प्रशासन उसे भी प्रदान करने की पेशकश कर चुका है ।इसके बाद भी मजदूरों की हठधर्मिता समझ से परे है। इसी वजह से सोमवार को जिला अस्पताल में हंगामे की स्थिति रही और मामला अब भी अनसुलझा ही है।
