प्रवीर भट्टाचार्य
मृत्यु शाश्वत सत्य है इससे कोई नहीं बच सका है, लेकिन कभी-कभी किसी की मौत पूरे परिवार को जीते जी मार देती है.। ऐसा ही कुछ हुआ है ग्राम पंचायत निपानिया उच्च भट्टी में। बिल्हा जनपद पंचायत के इस छोटे से गांव में एक मजदूर की मौत हो गई। गरीबी के अभिशाप से तो वह मुक्त हो गया, लेकिन उसके पीछे उसका विकलांग परिवार पूरी तरह से अनाथ हो चुका है। दुकालू राम ने तो यह दुनिया छोड़ दी, लेकिन अपने पीछे वे अपनी पत्नी और 5 विकलांग बच्चे छोड़ गए हैं ।उनके तीन बेटे हैं तीनों ही दृष्टिबाधित है। वही एक बेटी भी दृष्टिबाधित है तो वहीं दूसरी बेटी दृष्टि बाधित होने के साथ मूक बधिर भी है ।यानी पूरा परिवार दिव्य है। अब तक यह गृहस्ती मजदूरी करने वाले दुकालू राम के सहारे चल रही थी।
उनके निधन के बाद घर पर उनकी पत्नी के अलावा 5-5 विकलांग बच्चे हैं, जिनमें से बड़े बेटे लक्ष्मीनारायण सूर्यवंशी का तो विवाह भी हो चुका है और उसे भी एक बच्चा है । 7 लोगों का परिवार पूरी तरह अनाथ हो चुका है। घर में कमाने वाला कोई नहीं रहा और परिवार के पास आय का कोई साधन भी नहीं है। ना तो खुद की जमीन है और ना घर। पूरे घर में कमाने वाला एकमात्र व्यक्ति भी पुरानी चोट के कारण चल बसा । घर में कोई जमा पूंजी नहीं थी जिसके सहारे परिवार गुजर-बसर कर सके। बुजुर्ग मां के अलावा 2 विकलांग बहन और 3 विकलांग भाई एक दूसरे का सहारा भी नहीं बन पा रहे हैं। अनुसूचित जाति वर्ग पर यह तोहमत लगता है कि वे आरक्षण का लाभ पा रहे हैं लेकिन जिन्हें सचमुच ऐसे आरक्षण की आवश्यकता है उनके हिस्से इसका कोई लाभ नहीं मिला। 5 विकलांग बच्चों के सर से पिता का साया उठने के बाद अब भूखे मरने की नौबत आ चुकी है। पिछले 4 दिनों से परिवार के पास खाने को दाना नहीं है। भविष्य की क्या कहे , वर्तमान ही बिल्कुल अंधकारमय है।
ईश्वर ने वैसे ही इनके जीवन में पहले से ही अंधकार घोल रखा है और अब तो पिता का साया उठ जाने के बाद यह अंधेरा और गहरा हो गया है। परिवार के सभी सदस्य विकलांग है इसलिए यह भी संभव नहीं है कि वे कोई काम कर सके और स्वयं रोजगार अर्जित कर सके । पूरी तरह परिवार लोगों की दया और दान पर आश्रित है, लेकिन अब तक उनकी सुध लेने कोई भी सामने नहीं आया है। इस परिवार को सचमुच सरकारी और दानदाताओं की मदद की आवश्यकता है। सीपत क्षेत्र के निपानिया में रह रहे इस परिवार के सामने विकट स्थिति है। ऐसे में इन्हें हर वक्त प्रतीक्षा उस हाथ की है जो इनका हाथ थाम कर इन्हें इस गुरबत भरी जिंदगी से बाहर निकाल सके। इनका सपना ऐसो आराम नहीं बल्कि दो वक्त की रोटी है, फिलहाल वह भी उपलब्ध नहीं है। अगर आप इस परिवार की कोई मदद करना चाहते हैं तो कृपया 97531 76568 पर दिव्यांग लक्ष्मी नारायण सूर्यवंशी से संपर्क कर उनके परिवार की आर्थिक या अन्य तरीके से मदद कर सकते हैं। करके देखिए अच्छा लगेगा!