
आलोक मित्तल

प्रॉपर्टी गाइडलाइन दर को 30% से घटाकर 40% किए जाने पर भले ही सरकार अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन सच्चाई यह है कि पिछले कुछ सालों में भवन निर्माण सामग्रियों की बेतहाशा कीमत बढ़ने से निर्माण कार्यों की रफ्तार पूरी तरह कुंद हो चुकी है । जानकार बता रहे हैं कि निर्माण सामग्रियों की कीमत करीब 30% बढ़ चुकी है, जिससे भवन निर्माण की लागत भी 20% के आसपास बढ़ गयी है। यही कारण है कि लोग अब कीमत घटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं ।

आरोप तो यह है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद से भवन निर्माण सामग्रियों की कीमत आसमान छूने लगी है, लेकिन इस वर्ष जनवरी महीने से ही सीमेंट ,छड़ और रेत की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिससे निजी भवन निर्माण और मरम्मत के कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। अधिकांश लोग जो अपना मकान बनवाना चाहते थे उन्होंने योजना स्थगित कर दी है। फिलहाल बाजार में छड़ सीमेंट और रेत के भाव आसमान छू रहे हैं। बिल्डर भी इससे बुरी तरह प्रभावित है और उन्हें अब भवन निर्माण घाटे का सौदा लग रहा है। दिसंबर महीने में कुछ सीमेंट कंपनियों ने स्टॉक क्लीयरेंस के लिए सीमेंट के रेट कम किए थे लेकिन जनवरी आते ही फिर से सीमेंट की कीमतें बढ़ा दी गई है। अब तो हर 15 दिन में ₹10 से अधिक का उछाल सीमेंट में देखा जा रहा है।

भवन निर्माण सामग्रियों का व्यापार करने वाले बिज्जू राव कहते हैं कि ₹245 का सीमेंट ₹345 का हो गया। सरिया की कीमत ₹4700 प्रति क्विंटल से बढ़कर ₹6300 क्विंटल हो गई। ₹6000 प्रति हाईवा रेत की कीमत बढ़कर ₹10000 तक जा पहुंची है। सीमेंट निर्माण के पीछे कोयले की भूमिका होती है कोयले की कीमत भी 3800 रुपए प्रति टन से बढ़कर ₹8200 प्रति टन हो चुकी है। बिलासपुर में अल्ट्राटेक, लाफार्ज, अंबुजा, डबल बुल श्री बांगर ,एसीसी, जेके लक्ष्मी ,जेपी, बिरला गोल्ड सहित कई कंपनियों का सीमेंट उपलब्ध है, जिनकी चिल्लर कीमत ₹100 के आसपास बढ़ चुकी है। अक्टूबर माह से पहले यह कीमत ₹250 के आसपास थी। सरिया की कीमत भी तेजी से बढ़ी है, जिसके चलते शहर में कंस्ट्रक्शन के काम पूरी तरह धीमे पड़ चुके हैं। अधिकांश लोगों ने अपना भवन निर्माण अधूरा छोड़ दिया है और कीमत कम होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

यहां तक कि लोग घरों में मरम्मत का काम भी नहीं करवा रहे हैं। इससे भवन निर्माण सामग्री का व्यापार करने वाले व्यापारियों के साथ कंस्ट्रक्शन बिजनेस मैन, ठेकेदार और मजदूर भी बुरी तरह प्रभावित है। किसी के पास काम नहीं है। भवन निर्माण सामग्रियों के व्यापारी बिज्जू राव ने आरोप लगाया है कि भवन निर्माण सामग्रियों की कीमत ऐसे ही नहीं बढ़ी है। इसके पीछे पूरी साजिश है । सीमेंट कंपनी और रेत खदानों से अवैध चंदा उगाही कर उसका पैसा यूपी और अन्य चार राज्यों के चुनाव में लगाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ का पैसा छत्तीसगढ़ी को धोखा देकर बाहरी राज्य में लड़े जा रहे चुनाव में बहाया जा रहा है, जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ में महंगाई चरम पर है। मजदूर और छोटे व्यापारी बेरोजगार होने की कगार पर है ।
यह महंगाई नहीं बल्कि चुनावी चंदा वसूल करने का एक तरीका है। जिसके आगे सीमेंट और सरिया कंपनियां भी बेबस है। उन्हें चुनावी चंदा के लिए मोटी रकम देकर नेताओं को खुश करना पड़ रहा है, जिसकी पूर्ति वे निर्माण सामग्रियों की कीमत बढ़ाकर कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री दिखावे के लिए रेत के अवैध उत्खनन पर अंकुश लगाने की बात करते हैं लेकिन सच तो यह है कि उन्हीं के पार्टी के नेता रेत माफिया है जिनके द्वारा पूरी तरह रेत के कारोबार पर कब्जा जमा कर अनाप-शनाप कीमत पर रेत की बिक्री की जा रही है।

पिछले 3 सालों में सत्ता परिवर्तन के बाद से भवन निर्माण सामग्रियों की कीमत ही राज्य में अराजक स्थिति की तस्वीर साफ कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि अगर जल्द ही सरकार ने इस पर नियंत्रण नहीं किया तो अगले चुनाव में उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी , क्योंकि भवन निर्माण से गरीब मजदूर जुड़ा हुआ है। गरीब हितैषी की बात करना और बात है लेकिन हकीकत में यह सरकार गरीब विरोधी है, जिनके राज में मजदूरों को काम तक नहीं मिल पा रहा है। बिज्जू राव यह भी कहते हैं कि अगर राज्य सरकार अंग्रेजों की तरह इसी तरह प्रदेश का दोहन करती रही तो फिर यहां की जनता उन्हें अगले चुनाव में इसका जवाब जरूर देगी।
