“क्यों न पूजे इस माटी को जो जीवन का सुख देती है” — रामावैली कॉलोनी में विशाल हिंदू सम्मेलन संपन्न


बिलासपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में गत 27 दिसंबर को रामावैली कॉलोनी, बिलासपुर में विशाल हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में कॉलोनीवासियों ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर कार्यक्रम को सफल बनाया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रांत शारीरिक शिक्षण प्रमुख श्री विश्वास जलताड़े जी रहे। कार्यक्रम के सह संयोजक अधिवक्ता श्री धनीराम पटेल जी तथा मुख्य वक्ता के रूप में आचार्य देवेंद्र जी विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ सुंदरकांड पाठ के भक्तिमय वातावरण में हुआ। इसके पश्चात कॉलोनी की बहन श्रीमती जागृति ठाकुर द्वारा भजन प्रस्तुति तथा मनमोहन तिवारी जी द्वारा भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किया गया।


सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री विश्वास जलताड़े जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंच परिवर्तन की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए समाज में उसके महत्व को स्पष्ट किया। वहीं मुख्य वक्ता आचार्य देवेंद्र जी ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में सतयुग से लेकर कलियुग तक हिंदू जागृति के प्रयासों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने मुगल काल और अंग्रेजी शासन के दौरान हिंदू धर्म एवं राष्ट्र को हुई क्षति का उल्लेख करते हुए बताया कि हर युग में ऋषि-मुनियों, संत-महात्माओं और क्रांतिकारी महापुरुषों ने समाज और राष्ट्र की रक्षा का कार्य किया है।


आचार्य देवेंद्र जी ने हिंदू समाज में संगठन के अभाव के मूल कारणों को बताते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जो समाज स्वदेशी जीवनशैली—भाषा, भूषा, भोजन, भेष और भजन—को अपनाता है, वह कभी गुलाम नहीं होता। साथ ही स्वदेशी, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब एकजुटता और नागरिक कर्तव्य की महत्ता पर भी उन्होंने विशेष जोर दिया। छत्तीसगढ़ में ग्राम विकास गतिविधियों के माध्यम से किए जा रहे पर्यावरण संरक्षण के प्रयोगों को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत किया गया।


उन्होंने हिंदू दर्शन की मूल भावना “सर्वे भवन्तु सुखिनः”, “अहिंसा परमो धर्मः” से लेकर “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” तक को रेखांकित करते हुए देश की रक्षा के लिए गुरु गोविंद सिंह जी के चारों पुत्रों के बलिदान एवं अन्य क्रांतिकारी महापुरुषों की बलिदानी परंपरा का स्मरण कराया। “पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते” और “माटी होही तोर चोला रे संगी” जैसे भावों के साथ उन्होंने कहा कि यह पावन माटी ही जीवन का आधार है, जिसे पूजना और सहेजना हम सभी का कर्तव्य है।
कार्यक्रम का सफल संचालन अधिवक्ता श्री संतोष बाजपेई जी एवं अधिवक्ता प्रियंका वाजपेई जी द्वारा किया गया। सम्मेलन का समापन राष्ट्र, धर्म और समाज के प्रति समर्पण के संकल्प के साथ हुआ।

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