

20 नवंबर से जमीन की नई गाइडलाइन दरें लागू होने के बाद पूरे बिलासपुर में जमीन की खरीदी-बिक्री लगभग ठप पड़ गई है। दरों में 4 से 5 गुना तक की बढ़ोतरी के कारण खरीदार पीछे हटने लगे हैं। जिला पंजीयन कार्यालय, जहां पहले रोजाना 100 से अधिक रजिस्ट्री होती थीं, अब आधे से भी कम रजिस्ट्री हो रही है। पिछले पाँच दिनों में कुल मिलाकर सिर्फ 252 रजिस्ट्री दर्ज की गईं, जिससे कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है।
नई दरों से खरीदारों में हड़कंप
राज्य शासन द्वारा 20 नवंबर को जारी गाइडलाइन में न केवल शहर बल्कि आसपास के ग्रामीण इलाकों की जमीनों की दरों में भी भारी वृद्धि कर दी गई है। कई स्थानों पर सरकारी दरें बाजार भाव के बराबर या उससे अधिक पहुंच गई हैं।
पहले जहाँ सरकारी दर के अनुसार रजिस्ट्री होती थी और बाकी राशि कच्चे में दी जाती थी, अब दरें इतनी बढ़ गई हैं कि कच्चे का पूरा सिस्टम ही समाप्त हो गया है।
जमीन खरीदने वालों में यह उम्मीद है कि शासन दरों में संशोधन कर सकता है, इसलिए कई लोगों ने रजिस्ट्री फिलहाल टाल दी है। हालांकि सरकार की ओर से अब तक किसी राहत का संकेत नहीं मिला है।
पंजीयन कार्यालय में सूना माहौल
नई दरें लागू होने के बाद जिन तारीखों में रजिस्ट्री हुई, वह इस प्रकार हैं—
- 20 नवंबर: 58
- 24 नवंबर: 48
- 25 नवंबर: 33
- 26 नवंबर: 48
- 27 नवंबर: 65
पहले जहाँ प्रतीक्षा कक्ष में भीड़ रहती थी, अब वहां गिनती के लोग नजर आते हैं। कर्मचारी भी काफी समय खाली बैठे दिख रहे हैं।
“अभी आंकलन जल्दबाजी होगा” — जिला पंजीयक
जिला पंजीयक राजीव स्वर्णकार ने कहा—
“नई दरें अभी लागू हुई हैं। खरीदारों को इन्हें समझने में कुछ समय लगेगा। फिलहाल रजिस्ट्री कम होना स्वाभाविक है। अभी से यह कहना सही नहीं होगा कि बाजार पर कितना असर पड़ेगा।”
क्रेडाई ने दरों में संशोधन की मांग रखी
गाइडलाइन में कई बदलावों पर बिल्डर्स और डेवलपर्स की संस्था क्रेडाई ने गहरा विरोध जताया है। प्रमुख आपत्तियां इस प्रकार हैं—
- एक एकड़ में 35 डिसमिल तक की जमीन की दरें स्क्वेयर फीट में तय करने से दरें बहुत बढ़ गईं।
- पुरानी सरकार की 30% छूट समाप्त कर दी गई, लेकिन नई व्यवस्था में 8% स्टांप शुल्क से भी हटकर इसे 4% करने से दिक्कतें बढ़ीं।
- व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स में सामने और अंदर की दुकानों की दरें समान रखने को अनुचित बताया गया।
- फ्लोरवाइज दरें समाप्त कर सबको एक जैसी दर में शामिल करने से भी आपत्ति जताई गई।
राज्य के अन्य जिलों के साथ बिलासपुर क्रेडाई प्रतिनिधियों ने पंजीयन आईजी पुष्पेंद्र मीणा से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। आईजी ने सभी मुद्दों पर सकारात्मक विचार का आश्वासन दिया है।
निष्कर्ष
नई दरों ने जिले की जमीन बाजार को धीमा कर दिया है। यदि दरों में संशोधन नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में रजिस्ट्री की संख्या और कम हो सकती है। खरीदारों, बिल्डरों और विक्रेताओं—सभी की नजरें अब शासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।
