ओएचई करंट से झुलसकर ठेका कर्मी की मौत, कोरबा एसएसई सस्पेंड — सिस्टम में लापरवाही पर फिर उठे सवाल

कोरबा स्टेशन यार्ड में दुर्घटना राहत वैन की पेंटिंग के दौरान ओएचई लाइन की चपेट में आने से ठेका कर्मी श्याम चौहान की मौत हो गई, जबकि एक अन्य प्रेम दास गंभीर रूप से घायल हो गया। हादसे के बाद रेलवे ने कोरबा के एसएसई जितेंद्र देवांगन को निलंबित कर दिया है। तीन महीने में ओएचई से यह दूसरी मौत है, लेकिन हर बार कार्रवाई सिर्फ एसएसई स्तर तक ही सीमित रहने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

चार सदस्यीय कमेटी की जांच रिपोर्ट

हादसे की जांच के लिए बिलासपुर डिवीजन ने चार सदस्यीय कमेटी गठित की थी, जिसमें सीडीटीआई केआरबीए के SS Pusti, एसएसई ओएचई केआरबीए PK Swami, एसएसई C&W Asit Biswas और RPF ASI SK Sharma शामिल थे।

जांच के अनुसार, पेंटिंग का काम 24 नवंबर की सुबह 10:30 बजे शुरू होकर शाम 4 बजे तक चला और पूरा कार्य पावर ब्लॉक लेकर किया गया था। पावर ब्लॉक कैंसल करने से पहले कार्यस्थल की सुरक्षा की औपचारिक जांच भी की गई थी।

कमेटी ने पाया कि पेंटिंग सामग्री और ब्रश लाने के लिए ठेका कर्मी श्याम चौहान बिना एसएसई C&W की अनुमति के कोच की छत पर चढ़ गया। इसी दौरान ओएचई लाइन की चपेट में आने से वह झुलस गया और उसकी मौत हो गई। समिति ने माना कि उसकी व्यक्तिगत लापरवाही से हादसा हुआ।

तीन महीने में दो मौतें, सिस्टम पर बढ़ती उंगली

बिलासपुर डिवीजन में तीन महीनों में ओएचई करंट से दो ठेका कर्मियों की मौत हो चुकी है। दोनो मामलों में कार्रवाई सिर्फ संबंधित एसएसई को सस्पेंड करने तक सीमित रही है।

पहला मामला 23 अगस्त को हुआ था, जब एलएचबी कोच में एसी लीकेज सुधारते समय 26 वर्षीय ठेका कर्मी प्रताप बर्मन 70% झुलस गया था और उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। इस मामले में सस्पेंड किए गए एसएसई एसआर मीणा का निलंबन अब खत्म कर दिया गया है, जबकि मेजर चार्जशीट अभी तक जारी नहीं हुई।

दूसरा मामला अब कोरबा यार्ड में सामने आया है, जहां रिलीफ वैन की पेंटिंग के दौरान श्याम चौहान की जान चली गई। दोनों मामलों में ठेका कर्मियों की मौत के बाद भी उच्च स्तर पर जिम्मेदारी तय न होने से रेलवे व्यवस्था की कार्यसंस्कृति और सुरक्षा प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

सुरक्षा मानकों पर पुनर्विचार की जरूरत

लगातार हो रहे हादसों से यह साफ है कि ओएचई से जुड़े कार्यों में सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन या तो अधूरा है या निगरानी पर्याप्त नहीं है। कर्मचारियों की ट्रेनिंग, साइट सुपरविजन और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करने को लेकर रेलवे सिस्टम में व्यापक सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

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