

बिलासपुर।
उसलापुर रेलवे स्टेशन की पार्किंग से बाहर आने वाला रास्ता स्थानीय लोगों के लिए खतरे का सबब बन गया है। बैरियर पार करते ही वाहन सीधे मुख्य सड़क पर चढ़ जाते हैं, जहां कॉलोनियों की ओर तेजी से गुजरने वाले वाहन बिल्कुल दिखाई नहीं देते। इस अंधे मोड़ के कारण पिछले तीन साल में कई हादसे हो चुके हैं, जिनमें एक युवक की जान भी जा चुकी है। इसके बावजूद रेलवे इंजीनियरिंग विभाग ने अब तक सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
अंधा मोड़ बना दुर्घटनाओं की वजह
स्टेशन के सामने बनी निजी कॉलोनियों की कंक्रीट रोड और पार्किंग एग्जिट के बीच तकनीकी खामियां साफ दिख रही हैं। पार्किंग से निकलते ही—
- सामने से आने वाले वाहन नजर नहीं आते,
- मुड़ने की पर्याप्त जगह नहीं है,
- वाहन सीधे रोड डिवाइडर पर चढ़ जाते हैं।
कई बार वाहन आमने-सामने भिड़ चुके हैं। स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब मंगला की ओर से आने वाले संकरे रास्ते से वाहन स्टेशन की ओर मुड़ते हैं। यहां तक कि स्कूल बसें भी बिना रिवर्स लिए सड़क पर नहीं चढ़ पातीं, जिससे हर दिन दुर्घटना का जोखिम बना रहता है।
गलत इंजीनियरिंग का एक और परिणाम, फिर हुआ हादसा
शुक्रवार को पार्किंग के ठीक बाहर कॉलोनी से आने वाली सड़क के पास फिर एक वाहन टकरा गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक एग्जिट पॉइंट की खामियां नहीं सुधारी जातीं, दुर्घटनाएं यूं ही होती रहेंगी।
कहां है सबसे बड़ी समस्या?
- पार्किंग एग्जिट के ठीक सामने बना 50 मीटर लंबा रोड डिवाइडर, जो अब गैरजरूरी हो चुका है।
- बैरियर से बाहर आते ही वाहन सीधे तेज रफ्तार ट्रैफिक में घुस जाते हैं।
- एग्जिट पॉइंट अत्यधिक नजदीक होने से वाहन नियंत्रित नहीं हो पाते।
क्या सुधार जरूरी हैं?
स्थानीय निवासियों और यातायात विशेषज्ञों के अनुसार—
- 50 मीटर लंबा डिवाइडर हटाया जाना चाहिए, ताकि वाहन आसानी से मुख्य सड़क पर आ सकें।
- पार्किंग बैरियर से पहले स्पीड ब्रेकर जरूरी है, जिससे वाहन धीमी रफ्तार में बाहर निकलें।
- बैरियर को 10–15 मीटर पीछे शिफ्ट करना चाहिए, ताकि वाहन सीधे सड़क पर न चढ़ें और पहले अपनी दिशा व गति नियंत्रित कर सकें।
लगातार हादसों के बावजूद विभागीय उदासीनता से स्थानीय लोग बेहद नाराज हैं। नागरिकों ने चेतावनी दी है कि यदि इस खतनाक जगह पर जल्द सुधार नहीं किए गए, तो रेलवे और नगर प्रशासन के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
