कोड़ापुरी में शराब दुकान को लेकर दोफाड़ हुआ गांव: एक पक्ष खोलने तो दूसरा बंद कराने पर अड़ा, टेंडर विवाद के बाद रास्ता भी खुदवाया

बिलासपुर/तखतपुर। तखतपुर ब्लॉक अंतर्गत कोड़ापुरी गांव पिछले दो दिनों से शराब दुकान को लेकर दो हिस्सों में बंट गया है। एक वर्ग दुकान खोलने की मांग कर रहा है, जबकि दूसरा वर्ग इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। इस विभाजन की वजह गांव में उठी राजनीति और शराब दुकान के टेंडर विवाद को बताया जा रहा है।

गांव से रोजाना अलग-अलग समूह कलेक्ट्रेट पहुंचकर शराब दुकान खोलने और बंद कराने की मांगों को लेकर आवेदन दे रहे हैं। मंगलवार को उप सरपंच कमल यादव और परसराम साहू के नेतृत्व में 200 से अधिक ग्रामीण, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं, दुकान खुलवाने की मांग को लेकर कलेक्टर से मिले। कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि सरकारी निविदा प्रक्रिया के अनुसार ही दुकान खोली जाएगी।

टेंडर न मिलने से भड़का विवाद, रास्ता तक खुदवा दिया

सूत्रों के अनुसार, कोड़ापुरी के सरपंच पति टिकेश साहू और परसराम साहू दोनों ने शराब दुकान के लिए टेंडर भरा था। परंतु टिकेश साहू की निविदा निरस्त हो गई और दुकान का संचालन परसराम को मिला। इसी के बाद सरपंच पति द्वारा विरोध की शुरुआत कराई गई।

जहां दुकान खोली जानी थी, उस स्थान तक जाने वाले सरकारी रास्ते को सरपंच पति द्वारा खुदवाने का आरोप भी ग्रामीणों ने लगाया है। दुकान 15 नवंबर से बरदुला में 700 मीटर दूर प्रस्तावित थी, लेकिन इससे पहले ही विरोध तेज कर दिया गया।

गांव दो गुटों में बंटा — बरदुला विरोध में, कोड़ापुरी पक्ष में

उप सरपंच कमल यादव ने बताया कि बरदुला में आदिवासी समाज दुकान खोले जाने का विरोध कर रहा है। दूसरी तरफ, परसराम का कहना है कि सरपंच पति अपनी बिल्डिंग में दुकान लाने की मंशा से यह सब करवा रहे हैं।

इधर सरपंच पति टिकेश साहू ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि वह शुरू से ही कोड़ापुरी में शराब दुकान खोलने की मांग कर रहा है और उसका उद्देश्य केवल सुविधा के अनुरूप दुकान का स्थान तय कराना है।

महिलाओं को आगे कर शिफ्टिंग की मांग?

गांव के आरोपों के अनुसार, टेंडर न मिलने से नाराज टिकेश साहू अब महिलाओं को आगे कर दुकान को बरदुला से कोड़ापुरी शिफ्ट कराने की मांग करा रहे हैं। सड़क खुदवाने और गुटबाजी को लेकर पुलिस व प्रशासन मामले की निगरानी कर रहा है।

कोड़ापुरी में शराब दुकान को लेकर चल रहा यह विवाद गांव की सामाजिक एकता को प्रभावित कर रहा है। प्रशासन ने साफ संकेत दिए हैं कि दुकान सरकारी नियमों के तहत तय स्थान पर ही खोली जाएगी।

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