टीटीई ने 150 रुपए लेकर दी कन्फर्म बर्थ, पुलिस को 9 महीने बाद पता चला — मामला तो जीआरपी का थाबिलासपुर से कांचीगुड़ा के बीच रिश्वत का मामला, अब केस तेलंगाना ट्रांसफर होगा

बिलासपुर। रेलवे के टीटीई द्वारा 150 रुपए की रिश्वत लेकर यात्री को कन्फर्म बर्थ देने का मामला नौ महीने तक तोरवा पुलिस में लटकता रहा। जांच पूरी होने के बाद अब पता चला कि यह मामला रेलवे पुलिस (जीआरपी) क्षेत्राधिकार का है। अब केस शून्य में कायमी कर तेलंगाना के कांचीगुड़ा जीआरपी को भेजने की तैयारी की जा रही है।

घटना मार्च 2025 की है। बिलासपुर के गीतांजली सिटी फेस-2 (सरकंडा) निवासी अधिवक्ता एस.एम. सरताज पत्नी संग तेलंगाना यात्रा पर गए थे। उन्होंने कांचीगुड़ा से मैसूर के लिए अशोकपुरम एक्सप्रेस में बी-5 कोच की 31 नंबर सीट पर आरएसी टिकट लिया था। यात्रा के दौरान टीटीई एम. शंकर सिंह ने पहले बर्थ देने से इनकार किया, लेकिन बाद में 150 रुपए यूपीआई से लेने पर बर्थ कन्फर्म कर दी।

बिलासपुर लौटने के बाद अधिवक्ता ने इस मामले की शिकायत आईजी डॉ. संजीव शुक्ला से की। आदेश तोरवा थाना प्रभारी को मिला, पर जांच इतनी धीमी चली कि पूरे 9 महीने बाद भी परिणाम नहीं निकला। आखिरकार यह निष्कर्ष निकला कि घटना रेलवे क्षेत्राधिकार में आती है, इसलिए अब मामला जीआरपी को सौंपा जा रहा है।

रेलवे की शिकायत बुक में भी दर्ज हुई थी बात

अधिवक्ता सरताज ने बिलासपुर लौटने पर रेलवे की शिकायत बुक में भी टीटीई के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बावजूद रेलवे विभाग ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया कि आरोपी टीटीई एम. शंकर सिंह के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।

जीआरपी ने कहा — मामला कांचीगुड़ा का, अब वहीं होगा केस

जीआरपी बिलासपुर के प्रभारी एएसआई विश्वराज चक्रवर्ती ने बताया कि “10 दिन पहले यह फाइल तोरवा से हमारे पास आई है। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि घटना कांचीगुड़ा स्टेशन की है। अब हम केस को शून्य में कायमी कर केस डायरी तेलंगाना जीआरपी को ट्रांसफर करेंगे।”

शिकायत मार्च में, कार्रवाई नवंबर में

मार्च में दर्ज शिकायत की जांच को तय करने में तोरवा पुलिस को पूरे नौ महीने लग गए। इस दौरान केस स्थानीय स्तर पर अटका रहा और आखिरकार नवंबर में इसे जीआरपी के क्षेत्राधिकार का बताते हुए फाइल आगे बढ़ाई गई।

दस्तावेजों की कमी से अटकी रही जांच

जीआरपी का कहना है कि अधिवक्ता द्वारा शुरुआती शिकायत में टिकट और अन्य जरूरी दस्तावेज नहीं दिए गए थे, जिससे कार्रवाई लंबित रही। अब बयान और टिकट दस्तावेज मिलने के बाद केस दर्ज कर आगे भेजने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

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