
शशि मिश्रा

बिलासपुर। मिशन हॉस्पिटल परिसर में की गई तोड़फोड़ के बाद बड़ी मात्रा में कबाड़ गायब होने का मामला सामने आया है। सूत्रों के अनुसार, निगम के वाहन शाखा और अतिक्रमण शाखा के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से यह कबाड़ निजी कबाड़ी को बेच दिया गया। बताया जा रहा है कि तोड़फोड़ के दौरान निगम कर्मचारियों की मौजूदगी में एक व्यक्ति ट्रक में भरकर कबाड़ ले गया, लेकिन जांच में यह स्पष्ट हुआ कि वह न तो निगम का कर्मचारी था और न ही वाहन निगम का था।
वाहन शाखा प्रभारी एवं चीफ इंजीनियर आर.के. मिश्रा ने मामले की जानकारी से इंकार किया, जबकि अतिक्रमण शाखा प्रभारी प्रमिल शर्मा ने कहा कि जगह की कमी के कारण कबाड़ को पंचनामा कर मोपका गोठान भेजा गया था। हालांकि मौके पर कबाड़ का कोई अता-पता नहीं मिला, जिससे यह संदेह गहराता जा रहा है कि तोड़फोड़ के बाद कबाड़ को बेच दिया गया।

अतिक्रमण शाखा के एक कर्मचारी ने बताया कि हाइड्रा मशीन किराए पर ली गई थी और वही कबाड़ लेकर गई। बताया जा रहा है कि इसी तरह का मामला पहले भी चांटीडीह में सामने आ चुका है, जहां कार्रवाई के दौरान जब्त कबाड़ को निजी कबाड़ी के पास बेच दिया गया था।
पहले भी हो चुकी है गड़बड़ी
चांटीडीह में कार्रवाई के दौरान निगम ने संतोष रजक की कबाड़ दुकान से जब्त सामग्री को कछार में डंप करने का आदेश दिया था, लेकिन निगम के कुछ कर्मचारियों ने वह कबाड़ खपरगंज के एक निजी कबाड़ी महेश को बेच दिया। अब मिशन हॉस्पिटल से निकला कबाड़ भी गायब है। जिम्मेदारी तय न होने और आंतरिक मिलीभगत के कारण यह “कबाड़ का खेल” लगातार जारी है।
अतिक्रमण हटाने पर विरोध, पुलिस-प्रदर्शनकारियों में झड़प जैसी स्थिति
बुधवार को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान मसीही समाज और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में लोग मौके पर जुटे और नारेबाजी करते रहे। पुलिस ने एहतियातन भारी बल तैनात किया, लेकिन कई बार झड़प जैसी स्थिति बनी रही।
प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज करते हुए बुलडोजर चलवाए। पीड़ित पक्ष के अरशद हुसैन ने बताया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में स्टे के लिए याचिका दाखिल की थी, जिसका मौखिक आदेश दोपहर में ही मिल गया था, लेकिन प्रशासन ने उसे नजरअंदाज किया और कार्रवाई जारी रखी।
नगर निगम अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें आदेश की आधिकारिक प्रति शाम 4:10 बजे प्राप्त हुई थी, जिसके बाद कार्रवाई रोक दी गई।
लीज की अवधि समाप्त, सुप्रीम कोर्ट का यथास्थिति बनाए रखने का आदेश

1885 में स्थापित मिशन हॉस्पिटल की लीज की अवधि समाप्त हो चुकी है। लीज नवीनीकरण के आवेदन को 2024 में नजूल न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा परिसर का व्यावसायिक उपयोग शुरू कर दिया गया था।
इसी विवाद को लेकर क्रिश्चियन वीमेंस बोर्ड ऑफ मिशन के डायरेक्टर नितिन लॉरेंस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। बुधवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 10 नवंबर के फैसले पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया है।
अब न तो निगम प्रशासन परिसर में कोई नई कार्रवाई या निर्माण कर सकेगा, न ही हटाए गए लोग पुनः कब्जा ले सकेंगे। अदालत ने बिलासपुर कलेक्टर, नगर निगम आयुक्त समेत अन्य पक्षों से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
क्या है “यथास्थिति” का अर्थ
कानूनी तौर पर यथास्थिति का अर्थ है — किसी भी संपत्ति या विवादित स्थिति में कोई बदलाव न किया जाए। यानी जब तक मामला अदालत में विचाराधीन है, दोनों पक्ष मौजूदा स्थिति को वैसी ही बनाए रखें। इसका उद्देश्य यह है कि कोई भी पक्ष अपने हित में भौतिक या कानूनी स्थिति को न बदले, जिससे न्याय में बाधा न उत्पन्न हो।
