वन भूमि से ग्रामीणों की झोपड़ियों को तोड़ा गया लेकिन हटने को नही है तैयार,मामला पीव्ही78 और मरोड़ा का है

पखांजूर से बिप्लब कुण्डू–

पखांजूर .
वन परिक्षेत्र बांदे पश्चिम पीवी -78 और मरोरा के ग्रामीण पिछले तीन दिनों पहले वन विभाग की जमीन पर झोपड़ी बना लिए । शुक्रवार को स्थानीय प्रशासन की टीम ग्रामीणों को समझाइश देने के लिए पहुंची लेकिन वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हुए । वन विभाग के कर्मचारियों ने झोपड़ियों को तोड़कर सामग्री जब्त कर ली है । बावजूद ग्रामीण वन भूमि छोड़ने तैयार नहीं हैं । स्थानीय प्रशासन मंगलवार तक का समय ग्रामीणों को दिया है ।
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा वन विभाग की भूमि पर जबरदस्ती अतिक्रमण कर झोपड़ी ग्र बना रहे हैं । यह एक सामूहिक अतिक्रमण है । ग्रामीणों को समझाइश दिया जा रहा है लेकिन कुछ हटने को तैयार नहीं हैं । ग्रामीणों का मुद्दा है कि उनके पास मकान बनाने के लिए जमीन नहीं है । इस संबंध में मंगलवार तक का समय मांगा है । मंगलवार को ग्राम पंचायत में आकर ग्रामीणों से इस संबंध में बातचीत की जाएगी ।

फिलहाल अवैध कब्जा तोड़कर बांस बल्ली व झिल्ली जब्त किया गया है । एसडीओ सुरेश पिपरे ने बताया कि ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों पर आरोप लगाया कि वे 20 से 25 एकड़ भूमि पर पेड़ काटकर खेती कर रहे हैं । उस स्थान का जायजा लेने के लिए वे खुद गए वहां पर करीब 2 एकड़ भूमि पर खेती की जा रही है । वह खेती ग्रामीण कर रहे हैं। ग्राम पंचायत जनकपुर सरपंच ने बताया कि रेंजर व उनके द्वारा ग्रामीणों को समझाइश दिया गया कि जो भूमिहीन हैं वे लोग पंचायत में आवेदन करें , उनकी मांग पत्र कलेक्टर तक पहुचाया जाएगा । शासन के नियमानुसार भूमिहीन मजदूरों को भूमि प्रदान किया जाएगा । ग्रामीण महिलाओं ने वन कर्मचारियों पर मारपीट का आरोप लगाते हुए कहा कि शुक्रवार को वन कर्मचारी पेपर पर हस्ताक्षर करवाने आए थे । इस दौरान जब हस्ताक्षर करने से मना किए तो उन लोगों ने मारपीट किया । उनके बर्तन हंडी व अन्य सामाग्रियों को तोड़ दिया । जब तक प्रशासन जमीन नहीं देगा वे यहां से हटने तैयार नहीं है । इस संबंध में रेंजर सीएस भंडारी ने कहा कि किसी भी ग्रामीण के साथ मारपीट नहीं किया गया है।

झिल्ली के नीचे खाली भूमि में गुजारी रात::-

ग्रामीणों ने बताया कि वे भूमिहीन मजदूर हैं । भूमि के लिए पांच साल पहले जिला प्रशासन को आवेदन किया था लेकिन जमीन नहीं मिली । वन विभाग के जमीन पर सामूहिक झिल्ली व बांस बल्ली की झोपड़ी बनाकर रह रहे थे जिसे वन विभाग + के कर्मचारियों ने तोड़ दिया । अब ऐसे में वे लोग कहां जाएंगे । झिल्ली और मच्छरदानी ओड़कर रात काटी है । इस बारिश के मौसम में उनके पास सिर छिपाने के लिए जगह नहीं है । वन विभाग अन्याय कर रहा है ।

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