साजिश की बू • सिरगिट्टी में तीन मजदूरों को झूठे केस में फंसाने की कोशिश, बदमाश ने पुलिस के साथ मिलकर फेंकी थी पिस्टल

बिलासपुर। मस्तूरी गोलीकांड के दिन सिरगिट्टी क्षेत्र में एक बड़ा साजिशनुमा मामला सामने आया है। यहां प्रगति डिफेंस कंपनी में काम करने वाले तीन मजदूरों को फंसाने के लिए उनके किराए के मकान की छत पर किसी ने पिस्टल फेंक दी। कुछ ही मिनटों में पुलिस मौके पर पहुंची और तीनों को थाने ले जाकर रातभर पूछताछ में बिठाए रखा। बाद में मकान मालिक और आरोपियों के बयान के बाद मजदूरों को छोड़ दिया गया।

जानकारी के मुताबिक, सिरगिट्टी थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर 10 में शिवकुमार गुप्ता के मकान में कानपुर निवासी नितिन वर्मा, सचिन शर्मा और इंद्रजीत सिंह किराए पर रहते हैं। तीनों प्रगति डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड में कार्यरत हैं। 28 अक्टूबर की रात वे काम निपटाकर करीब 12 बजे लौटे थे। घर के पास मैदान में स्कूटी सवार दो शराबी — अजय और हिस्ट्रीशीटर नारायण अवस्थी — उनसे भिड़ गए। कहासुनी के बाद दोनों ने धमकी दी कि “चरस में फंसा देंगे।”

थोड़ी देर बाद घर की छत पर कुछ गिरने की आवाज सुनाई दी। मकान मालकिन ने देखा कि वहां पिस्टलनुमा हथियार पड़ा है। मजदूर 112 पर कॉल करने ही वाले थे कि उसी समय अजय और नारायण दो पुलिसकर्मियों के साथ पहुंचे। पुलिस ने बिना पूछताछ तीनों मजदूरों को थाने ले जाकर मोबाइल जब्त कर लिए और कथित रूप से रातभर बिना कपड़ों के बैठाए रखा।

सुबह कंपनी के मालिक नमन अग्रवाल थाने पहुंचे। उनके सामने ही मकान मालिक और आरोपी अजय के बयान दर्ज किए गए। अजय ने कबूला कि उसने नारायण अवस्थी के कहने पर ही पिस्टल छत पर फेंकी थी। इसके बाद तीनों मजदूरों को छोड़ा गया।

पीड़ित मजदूरों ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि पुलिस अपराधियों के साथ मिली हुई है। उन्होंने कहा, “अगर कंपनी मालिक समय पर नहीं आते, तो हमें जेल भेज दिया जाता। यहां की स्थिति यूपी-बिहार से भी बदतर है।”

इस मामले में एएसपी राजेंद्र जायसवाल ने कहा कि “घटना की जांच की जा रही है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।” वहीं सिरगिट्टी थाना प्रभारी किशोर केंवट ने कहा कि “दोनों पक्षों से पूछताछ जारी है, जांच पूरी होने के बाद ही निष्कर्ष निकाला जाएगा।”

अब तक का हाल:

  • नारायण अवस्थी फरार, गिरफ्तारी नहीं हुई।
  • पिस्टल कहां से आई, पुलिस जांच में स्पष्ट नहीं।
  • मजदूरों ने पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगाया।

यह पूरा मामला पुलिस और अपराधियों की कथित सांठगांठ की ओर इशारा करता है, जिसने तीन निर्दोष मजदूरों को जेल भिजवाने की साजिश रची थी।

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