ओवरटाइम कर रहे मजदूर की 30 फीट ऊंचाई से गिरकर मौत, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप, मंगल स्पंज आयरन प्लांट बिल्हा में हादसा, 20 लाख मुआवजे पर बनी सहमति

बिल्हा। बिलासपुर के मंगल स्पंज आयरन प्लांट में बुधवार देर शाम एक बड़ा हादसा हो गया। यहां काम खत्म होने के बाद भी ओवरटाइम कर रहे एक क्रेन ऑपरेटर की सड़ी हुई जाली टूटने से 30 फीट ऊंचाई से गिरकर मौत हो गई। हादसे के बाद साथी कर्मचारियों में आक्रोश है।

ग्राम भैंसबोड़ निवासी मिथिलेश यादव (23 वर्ष) पिता अर्जुन लाल, मंगल स्पंज आयरन प्लांट में क्रेन ऑपरेटर के पद पर कार्यरत था। 29 अक्टूबर की रात वह अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद भी अतिरिक्त समय तक काम कर रहा था। इसी दौरान किसी कार्य के लिए वह जब क्रेन से नीचे उतरा, तो सड़ी हुई जाली टूट गई और मिथिलेश नीचे गिर पड़ा। साथी कर्मचारियों ने तुरंत उसे एक निजी अस्पताल पहुंचाया, जहां से हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने सिम्स रेफर किया। लेकिन सिम्स पहुंचते ही डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

परिजनों ने मुआवजे की मांग पर किया हंगामा

घटना की जानकारी मिलते ही परिजन सिम्स पहुंचे और प्लांट प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्लांट में बिना सुरक्षा उपकरणों के कर्मचारियों से तय समय से अधिक काम कराया जाता है। परिजनों ने 40 लाख रुपए मुआवजे की मांग की और शव घर ले जाने से इनकार कर दिया।

करीब पूरे दिन चले मान-मनौव्वल के बाद तहसीलदार टोपलाल सिदार की मौजूदगी में 20 लाख रुपए मुआवजे पर सहमति बनी, जिसमें से कंपनी ने तत्काल एक लाख रुपए दिए।

जांच करेगी पुलिस और औद्योगिक सुरक्षा विभाग

डीएसपी डीआर टंडन ने बताया कि मामले में शून्य अपराध दर्ज कर जांच शुरू की गई है। औद्योगिक सुरक्षा विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम हादसे के कारणों और लापरवाही के आरोपों की जांच करेगी।

गर्भवती पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल

मिथिलेश की शादी हो चुकी थी। उसका दो वर्षीय बेटा हर्षद है और पत्नी गर्भवती है। हादसे की खबर सुनते ही पत्नी बेसुध हो गई। घर में मातम पसरा है और साथी कर्मचारी भी शोक में हैं।

10 माह में तीन हादसे, 11 मजदूरों की मौत, किसी को सजा नहीं

बिलासपुर संभाग में पिछले 10 महीनों में औद्योगिक इकाइयों में लापरवाही के कारण तीन बड़े हादसों में कुल 11 मजदूरों की मौत हो चुकी है।
फिर भी अब तक किसी जिम्मेदार अधिकारी या प्लांट संचालक को सजा नहीं मिली।

केस-1 (4 अगस्त) – यूनिट-5 में मेंटेनेंस के दौरान प्लेटफॉर्म टूटने से दो मजदूरों की मौत।
केस-2 (9 जनवरी) – कुसुम स्मेल्टर, रामबोड़ में साइलो टैंक ढहने से चार मजदूरों की मौत।
केस-3 (7 अक्टूबर) – आरकेएम पावर प्लांट, सक्ती में लिफ्ट गिरने से चार मजदूरों की मौत, छह घायल।

हर हादसे में लापरवाही सामने आई, लेकिन कुछ मामलों में औद्योगिक सुरक्षा विभाग ने क्लीन चिट दे दी और कुछ केस कोर्ट में लंबित हैं। मजदूर संगठन लगातार मांग कर रहे हैं कि दोषी प्लांट संचालकों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

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