

प्रवीर भट्टाचार्य/ शशि मिश्रा

पुरानी कहावत है कि दुनिया उगते सूरज को सलाम करती है लेकिन दुनिया में सनातन ही एकमात्र धर्म है जिसमे डूबते सूरज की भी पूजा करने की परंपरा है। यह संदेश है कि जीवन में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक है लेकिन मर्यादा और सम्मान में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। जहां पतन है, वहां उत्थान भी है, जहां अस्त है, वहां उदय भी है। छठ महापर्व पर जहां अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया तो वही नवजीवन के प्रतीक उदय होते सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया गया।

लोक आस्था के सबसे बड़े महापर्व छठ पूजा पर सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया की आराधना चार दिनों तक की गई। नहाए खाए से आरंभ हुए पर्व में दिनभर उपवास रखकर व्रती महिलाओं ने खरना का प्रसाद तैयार किया और फिर वहां से 36 घंटे निर्जला उपवास की शुरुआत हुई।

सोमवार संध्या अर्घ्य के पश्चात सभी व्रती घाट से प्रज्वलित दीपक लेकर घर लौटे, जहां रात भर उनकी सेवा की गई।
आधी रात को एक बार फिर व्रती बैंड बाजे के साथ हाथों में प्रज्वलित दीपक और सर पर दउरा रखकर छठ घाट पहुंचने लगे। दुनिया के सबसे बड़े स्थाई छठ घाट तोरवा में रात 2:00 बजे के बाद से ही लोगों का आना आरंभ हो गया। धीरे-धीरे घाट पर व्रतियों के आने का क्रम बढ़ता चला गया। सभी एक बार पुनः उसी स्थान पर पहुंचे जहां उन्होंने एक दिन पूर्व संध्या में पूजा अर्चना की थी। एक बार फिर गन्ने से कोसी सजाई गई , जहां दीप प्रज्वलित कर पूजा अर्चना की सामग्री रखकर सूर्य देव की प्रतीक्षा आरंभ हुई।
सूर्य देव के उदय का समय सुबह 6 बजकर 3 मिनट पर था। जैसे ही आसमान पर उजियारा फैलने लगा पारंपरिक ढंग से पूजा अर्चना करते हुए सभी व्रतियों ने कच्चे दूध और नदी के निर्मल जल से सूर्य देव को अर्घ्य देते हुए अपने संतान और पूरे परिवार के लिए मंगल कामना की।

छठ महापर्व असल में प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है। वैज्ञानिक अवधारणा में भी यह सिद्ध है कि बिना सूर्य के धरती पर जीवन संभव नहीं है। वे साक्षात देव है , इसलिए इस व्रत में किसी प्रतिमा की आवश्यकता नहीं होती। जैसे ही आसमान पर सूर्य देव प्रकट हुए तोरवा स्थित छठ घाट पर हजारों हाथ अर्घ्य देने के लिए उठ गए। सूर्य भगवान को नमन करते हुए उनकी आरती उतारी गई। इस पल के साक्षी बनने घाट पर हजारों लोग जुटे, जिसमें छोटे-छोटे बच्चों से लेकर स्त्री पुरुष और बुजुर्ग भी शामिल रहे। बड़ी बात यह है कि संध्या से अधिक लोग उषा अर्घ्य के समय तोरवा छठ घाट पहुंचे । इस अवसर पर सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए समिति की ओर से निशुल्क दूध उपलब्ध कराया गया।

इस पल के साक्षी बनने बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल , महापौर पूजा विधानी, भाजपा जिला अध्यक्ष दीपक सिंह, पूर्व मेयर किशोर राय , गुलशन ऋषि, स्मृति जैन, रीना झा, अनिल टाह आदि भी पहुंचे। सूर्य देव को उषा अर्घ्य देकर और छठी मैया की आराधना उपासना के बाद यहां पारंपरिक ठेकुआ का प्रसाद वितरित किया गया। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास संपन्न हुआ। व्रत का पारण कर व्रतियों ने भी प्रसाद और जल ग्रहण किया । इसके बाद सभी घाट से लौटने लगे।

इस वर्ष का छठ महापर्व संपन्न हुआ लेकिन अभी से सभी अगले वर्ष की प्रतीक्षा करने लगे हैं। बिलासपुर के तोरवा छठ घाट में रजत जयंती वर्ष में आयोजन बेहद भव्य रहा। मंगलवार सुबह यहां 60 हजार से अधिक श्रद्धालु जुटे, जिसमे व्रतियों के अलावा इस पल के साक्षी बनने की इच्छा लिए पहुंचे श्रद्धालुओं की संख्या विशाल रही। इस अवसर पर यहां लगे मेले का भी लोगों ने खूब लुत्फ लिया। खाने पीने के स्टाल में भी काफी भीड़ नजर आई तो वहीं मेले से लोगों ने जमकर खरीदारी भी की। चाय कॉफी के निशुल्क स्टॉल पर भी खूब भीड़ नजर आई। सुरक्षा के मद्दे नजर चप्पे चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात रहे, जिन्होंने सुरक्षा से लेकर यातायात व्यवस्था की बागडोर संभाल रखी थी। तो वही स्वास्थ्य विभाग की टीम भी घाट पर मौजूद रही। इसके अलावा किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एसडीआरएफ की 6 सदस्यीय टीम पूरे समय घाट पर रही।

आयोजन संचालन समिति के सदस्य डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार दास ने बताया कि हर वर्ष की तुलना में इस वर्ष समिति को जिला प्रशासन का अभूतपूर्व सहयोग मिला है इसके लिए उन्होंने कलेक्टर संजय अग्रवाल, एसएसपी रजनेश सिंह और नगर निगम आयुक्त अमित कुमार के अलावा सभी प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया है। साथ ही इस आयोजन की सफलता के सबसे बड़े और असली हकदार उन हजारों लोगों के प्रति भी आभार जताया है जिन्होंने इस अवसर पर छठ घाट पहुंचकर इस आयोजन को गरिमा प्रदान की।
दास परिवार ने दिया अर्घ्य

मंगलवार सुबह छठी मैया और सूर्य देव की आराधना- उपासना के लिए बिलासपुर के तोरवा स्थित विश्व के सबसे बड़े स्थाई छठ घाट में हजारों श्रद्धालु पहुंचे। इस अवसर पर सरकंडा बहतराई क्षेत्र के दास परिवार ने भी घाट में पहुंचकर पारंपरिक विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान किया। इस अवसर पर दास परिवार के नरेंद्र दास, रूपम दास , डॉ धर्मेंद्र कुमार दास, बर्षा दास,समृद्धी दास आदि मौजूद रहे, जिन्होंने पूजा अर्चना कर सबके कल्याण की कामना की।
