अमावस्या की रात काली मंदिरों में गूंजी जय मां काली की गूंज — बिलासपुर में बंगाल की परंपराओं संग मनाई गई काली पूजा, छत्तीसगढ़ बंगाली समाज ने भी बंगाल भवन में किया तीन दिवसीय काली पूजा उत्सव का आयोजन

प्रवीर भट्टाचार्य

बिलासपुर।
दीपावली की अमावस्या तिथि पर जहां पूरा देश लक्ष्मी पूजा में लीन रहा, वहीं देवी पार्वती के उग्र स्वरूप मां महाकाली की आराधना का पर्व भी पूरे भक्ति भाव से मनाया गया। मान्यता है कि देवी पार्वती ने राक्षस रक्तबीज के अत्याचारों से संसार को मुक्ति दिलाने के लिए मां काली का उग्र रूप धारण किया था। उन्होंने अपने खड्ग से रक्तबीज का संहार किया और अपनी लंबी जिह्वा से उसका रक्त पी लिया ताकि उसके रक्त से नए रक्तबीज उत्पन्न न हो सकें। यही कारण है कि मां काली का यह स्वरूप साधकों के लिए अत्यंत पूजनीय और शक्तिदायी माना गया है।

दीपावली की रात मां काली की आराधना

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दीपावली की रात को बिलासपुर में मां काली की भव्य पूजा-अर्चना की गई। बंगाल और असम की परंपरा के अनुरूप छत्तीसगढ़ में भी मां काली पूजा का विशेष महत्व है। शहर के कालीबाड़ी मंदिर में मां काली की आराधना संपन्न हुई, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा में शामिल हुए।

बंगाल भवन में हुआ भव्य आयोजन

छत्तीसगढ़ बंगाली समाज द्वारा तोरवा छठ घाट मार्ग स्थित बंगाल भवन में हर वर्ष की तरह इस बार भी श्री श्री मां काली पूजा का आयोजन किया गया। बंगाल की पारंपरिक संस्कृति और धार्मिक रस्मों से सजे इस आयोजन में भक्तों ने दिनभर उपवास रखकर पूजा-अर्चना में हिस्सा लिया।

मध्यरात्रि को पुष्पांजलि अर्पित की गई और मां काली से सुख, समृद्धि और शक्ति की कामना की गई। इस अवसर पर बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल भी रात्रि में पहुंचे। उन्होंने मां काली की पूजा-अर्चना कर पुष्पांजलि अर्पित की और सभी नागरिकों की सुख-समृद्धि की मंगल कामना की। पूजा के पश्चात मध्यरात्रि में भोग प्रसाद का वितरण किया गया।

अगले दिन भी जारी रहे धार्मिक आयोजन

मंगलवार को भी बंगाल भवन में धार्मिक कार्यक्रमों का सिलसिला जारी रहा। सुबह दधि कर्म पूजा की गई, वहीं शाम को भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ। भजन कलाकारों ने मां काली की महिमा का भावपूर्ण वर्णन किया, जिसे सुनने बड़ी संख्या में बिलासपुर एवं आसपास के बंगाली श्रद्धालु उपस्थित रहे। इस अवसर पर डॉक्टर एस के मजूमदार ,अचिंतो कुमार बसु ,आर एन नाथ, मानिक भट्टाचार्य, दिलीप विश्वास, सरस्वती नाथ चंदन मित्रा, निहार रंजन आदि ने भावपूर्ण भजन की प्रस्तुति दी।

परंपरागत रूप से हुआ मां काली प्रतिमा का विसर्जन

बुधवार सुबह परंपरा अनुसार मां काली प्रतिमा का विसर्जन किया गया। इस दौरान श्रद्धालु भक्तों ने “जय मां काली” और “शक्ति माई की जय” के जयकारे लगाए। विसर्जन शोभायात्रा में छत्तीसगढ़ बंगाली समाज के अनेक पदाधिकारी एवं सदस्य शामिल रहे।

इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष पल्लव धर, प्रदेश महासचिव पार्थो चक्रवर्ती, प्रदेश संरक्षक आर एन नाथ, संरक्षक ए के गांगुली,  पूर्ति धर(महिला अध्यक्ष),  मानवेंद्र नाथ चटर्जी,एस के मजूमदार, अचिंतो कुमार बोस, शुभंकर राय, विश्वजीत पात्रो, नारायण चंद्र डे, भास्कर दास, विजय कुमार दास, सरस्वती नाथ, चुमकी चटर्जी, श्यामोली डे, मिता बोस, कल्पना डे, गोपा दत्ता, अरुंधति मुखर्जी, चंद्रा चक्रवर्ती, राखी गुहा, रूना दास, प्रोनोति बारीक, मिता दत्त, माला दास, गीता दत्त, उज्जवल बनर्जी, सुमित चक्रवर्ती, सोनू सरकार, पिंटू भट्टाचार्य, सुब्रत मित्र, रिंकू मोइत्रा, तापस सरकार सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

पूरे आयोजन के दौरान बंगाल की धार्मिक संस्कृति और भक्ति भावना का अद्भुत संगम देखने को मिला। मां काली की आराधना से वातावरण “जय मां काली” के जयघोष से गूंज उठा।

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