

बिलासपुर।
दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाला गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महापर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ पूरे देश में मनाया गया। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्र के अहंकार के दमन और गोवर्धन पर्वत की पूजा से जुड़ा है। मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने अपने बाल रूप में गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाया था। तभी से यह पर्व प्रकृति, गौ-सेवा और अन्नदान के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

पर्व का महत्व और परंपरा
गोवर्धन पूजा के दिन श्रद्धालु गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा का निर्माण करते हैं, फिर उनका विधिवत पूजन करते हुए अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। अन्नकूट का अर्थ है “अन्न का विशाल पर्वत”, जिसमें तरह-तरह के व्यंजन बनाकर भगवान को समर्पित किए जाते हैं। यह पर्व समृद्धि, आभार और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक माना जाता है।

हेमू नगर स्थित बरम बाबा मंदिर में हुआ भव्य आयोजन

बिलासपुर के हेमू नगर स्थित बरम बाबा मंदिर में भी मंगलवार को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महापर्व बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर भक्तों ने गोबर से भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पूजन-अर्चन किया।

मंदिर प्रांगण में भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट का भोग अर्पित किया, जिसमें विभिन्न प्रकार के व्यंजन, मिठाइयां और प्रसाद शामिल थे। पूजा-अर्चना के बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
संतों का आशीर्वाद और भक्तों की उपस्थिति

कार्यक्रम में पहुंचे श्रद्धालुओं ने श्री श्री 1008 प्रेम दास जी महाराज और श्री राधे श्याम जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर पाटलिपुत्र संस्कृति विकास समाज के अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र कुमार दास भी उपस्थित रहे और उन्होंने भक्तों के साथ पूजा-अर्चना में भाग लिया।

भक्ति और उल्लास से भरा वातावरण
पूरे मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन के मधुर स्वर गूंजते रहे। भक्तों ने दीपक जलाकर भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे लगाए और गोवर्धन पर्व की कथा का श्रवण किया। पूरे क्षेत्र में धार्मिक उत्सव जैसा वातावरण रहा।
