

शहर के दयालबंद पुल के नीचे लिंगियाडीह मार्ग पर स्थित करीब 15 परिवारों के सामने आवागमन का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। बताया जा रहा है कि ये परिवार पिछले 40 वर्षों से खसरा नंबर 175/1 से 175/9 तक की अपनी पुश्तैनी जमीन पर रह रहे हैं, लेकिन अब दबंगों ने उनका रास्ता पूरी तरह से बंद कर दिया है।
स्थिति यह है कि अब लोगों को नदी पार कर बच्चों को स्कूल पहुंचाना पड़ रहा है, और बीमार या बुजुर्ग परिजनों को आपात स्थिति में भी नदी के रास्ते ही लाना-ले जाना पड़ता है।
परिवारों का कहना है कि रास्ता रोकने वाले लोगों ने पहले उनकी जमीन खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन जब वे असफल रहे, तो उन्होंने लोहे का गेट और बाउंड्री वॉल खड़ी कर दी। इतना ही नहीं, दीवार पर धमकी भरा संदेश भी लिख दिया गया है— “इस रास्ते से गुजरने वालों का उचित इलाज किया जाएगा।”
राजस्व विभाग की जांच में भी पुष्टि हुई कि यह फुटपाथ वर्षों से आम आवागमन के लिए उपयोग में रहा है, और राजस्व रिकॉर्ड में यह रास्ता दयालबंद रोड से जुड़ा हुआ दर्ज है। जांच टीम ने सीमांकन भी किया था, बावजूद इसके दबंगों ने पैदल मार्ग को बंद कर दिया।
मामले में हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि “दीवार पर लिखा गया संदेश राज्य के अधिकार को खुली चुनौती है, क्योंकि किसी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं है।”
हाई कोर्ट ने बिलासपुर कलेक्टर को शपथ पत्र के साथ विस्तृत जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही पूछा गया है कि दीवार खड़ी करने और धमकी भरा संदेश लिखने वालों के खिलाफ प्रशासन ने क्या कार्रवाई की है। मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।
